भारत में सड़क हादसे के शिकार लोगों को मिलेगा मुफ्त इलाज, देश भर में कैशलेस ट्रीटमेंट लागू

Published Date: 06-05-2025

नई दिल्ली: सड़क दुर्घटना के शिकार लोगों को तत्काल और मुफ्त इलाज सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार ने देश भर में कैशलेस ट्रीटमेंट स्कीम (नकद रहित इलाज योजना) लागू कर दी है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी गजट अधिसूचना के अनुसार, यह महत्वपूर्ण योजना 5 मई, 2025 से प्रभावी हो गई है।

इस योजना के तहत, मोटर वाहन दुर्घटना में घायल हुए किसी भी व्यक्ति को प्रति हादसा अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज मिल सकेगा। मंत्रालय की अधिसूचना के मुताबिक, सड़क हादसे के शिकार व्यक्ति को देश के किसी भी हिस्से में, सरकारी या योजना के लिए नामित निजी अस्पतालों में इलाज की सुविधा मुफ्त मिलेगी।

योजना के प्रावधानों के अनुसार, पीड़ित व्यक्ति को दुर्घटना की तारीख से अगले सात दिनों तक, अधिकतम 1,50,000 रुपये तक का कैशलेस इलाज प्रदान किया जाएगा। हालांकि, यह सुविधा केवल उन्हीं अस्पतालों में पूरी तरह लागू होगी जिन्हें सरकार ने इस योजना के लिए “नामित” किया है।

यदि किसी आपात स्थिति में पीड़ित को नामित अस्पताल उपलब्ध नहीं हो पाता है और इलाज किसी अन्य अस्पताल में कराना पड़ता है, तो उस स्थिति में उस अस्पताल में केवल घायल व्यक्ति की स्थिति को स्थिर करने (स्टेबलाइजेशन) तक का खर्च ही इस योजना के तहत कवर किया जाएगा। इस संबंध में विस्तृत गाइडलाइंस अलग से जारी की गई हैं।

इस योजना के प्रभावी क्रियान्वयन की जिम्मेदारी नेशनल हेल्थ अथॉरिटी (NHA) को सौंपी गई है। NHA पुलिस, अस्पतालों और राज्य स्तरीय स्वास्थ्य एजेंसियों के साथ समन्वय स्थापित कर यह सुनिश्चित करेगी कि योजना का लाभ पात्र व्यक्तियों तक पहुंचे।

प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में स्टेट रोड सेफ्टी काउंसिल को इस योजना के लिए नोडल एजेंसी बनाया गया है। यह काउंसिल योजना के सही ढंग से लागू होने, अस्पतालों को योजना से जोड़ने, पीड़ितों के इलाज और भुगतान प्रक्रिया की निगरानी करेगी। इसके अतिरिक्त, केंद्र सरकार योजना की प्रभावी निगरानी और संचालन सुनिश्चित करने के लिए एक स्टीयरिंग कमेटी (निगरानी समिति) का भी गठन करेगी।

गौरतलब है कि इस योजना को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने से पहले, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 14 मार्च 2024 को इसका एक पायलट प्रोग्राम शुरू किया था, जिससे मिले अनुभव के आधार पर अब इसे पूरे देश में लागू किया गया है। इस कदम से सड़क दुर्घटनाओं में घायलों को समय पर और आर्थिक चिंता के बिना इलाज मिलने की उम्मीद है।

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