हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और अमेरिका की ट्रंप सरकार के बीच चल रहा विवाद अब एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। अमेरिकी आंतरिक सुरक्षा विभाग (DHS) ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में विदेशी छात्रों के एडमिशन प्रोग्राम को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है। इस फैसले का असर खासतौर पर भारतीय, चीनी और अन्य देशों के छात्रों पर पड़ेगा, जो हर साल बड़ी संख्या में हार्वर्ड में दाखिला लेते हैं।
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, DHS की सचिव क्रिस्टी नोएम ने हार्वर्ड को पत्र भेजकर सूचित किया है कि विश्वविद्यालय अब विदेशी छात्रों को एडमिशन नहीं दे सकेगा। यह निर्णय हार्वर्ड द्वारा विदेशी छात्रों के रिकॉर्ड देने से इनकार करने के बाद लिया गया है। हार्वर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, यहां हर साल 500 से 800 भारतीय छात्र एडमिशन लेते हैं, जबकि कुल 6,800 विदेशी छात्र पढ़ाई करते हैं। इस वर्ष 788 भारतीय छात्रों ने दाखिला लिया था।
अब विदेशी छात्रों से कहा गया है कि वे अन्य किसी अमेरिकी संस्थान में स्थानांतरण लें, अन्यथा उनका लीगल स्टेटस खतरे में पड़ सकता है। हालांकि जो छात्र अपना सेमेस्टर पूरा कर चुके हैं, उन्हें ग्रेजुएशन पूरी करने की अनुमति दी गई है। यह बदलाव 2025-26 शैक्षणिक सत्र से लागू होंगे। ट्रंप सरकार का आरोप है कि हार्वर्ड प्रशासन इजरायल और यहूदियों के खिलाफ नफरत फैलाने के मामलों को रोकने में विफल रहा है। इसके चलते सरकार अब विश्वविद्यालयों को ज्यादा नियंत्रण में लेना चाहती है, लेकिन हार्वर्ड इसका विरोध कर रहा है। इस घटनाक्रम से हजारों विदेशी छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है, और आने वाले समय में अमेरिका की शिक्षा नीति को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो सकता है।