नई दिल्ली : केन्द्र की सत्ता में आई राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार में फूट डालने के लिए कांग्रेस ने एनडीए के सहयोगी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के आरक्षण के मुदृे को ही इस्तेमाल कर लिया है। जेडीयू ने आरक्षण सीमा 50 प्रतिशत से बढ़ाने के लिए संबंधित कानून को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग रखी, तो कांग्रेस ने आरक्षण से संबंधित राज्य के सभी कानूनों को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए संविधान में संशोधन का दांव खेलकर एनडीए सरकार को पशोपेश में डाल दिया है।
बिहार में जातिगत जनगणना और आरक्षण का मुद्दा गरमाया हुआ है। जेडीयू ने अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में बिहार में आरक्षण का दायरे बढ़ाने को सही ठहराते हुए इसे केंद्र सरकार संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की है। इसके ठीक बाद कांग्रेस इस मुद्दे पर मुखर हो गई है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि पूरे चुनाव अभियान के दौरान कांग्रेस की मुख्य गारंटियों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और सभी पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण को बढ़ाने का वादा था, जो आज भी है।
जयराम रमेश का कहना है कि आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से आगे बढ़ाने वाले आरक्षण के कानूनों को नौवीं अनुसूची में लाना भी कोई समाधान नहीं है, क्योंकि 2007 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक़ ऐसे कानूनों की भी न्यायिक समीक्षा की जा सकती है। ऐसे में एकमात्र रास्ता यह है कि संसद एक संविधान संशोधन विधेयक पारित करे जो अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और सभी पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण को 50 फीसदी से अधिक करने में सक्षम बनाए।