संसद में बुलाए किसान नेताओं को एंट्री नहीं मिली तो राहुल गांधी भड़क गए

नई दिल्ली :  बजट को लेकर संसद में विपक्षी पार्टियों की तरफ से खूब हंगामा किया जा रहा है। वहीं लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने कई किसान नेताओं को मिलने के लिए संसद में बुला लिया। बुधवार को संसद भवन पहुंचे इन किसान नेताओं को एंट्री नहीं मिली तो राहुल गांधी भड़क गए।

इस मौके राहुल गांधी ने कहा कि हमने इन लोगों को मुलाकात के लिए बुलाया था। लेकिन ये लोग संसद में उन्हें आने नहीं दे रहे हैं। ऐसा शायद इसलिए हो रहा है क्योंकि वे किसान हैं और उन्हें सरकार अंदर नहीं देखना चाहती। वहीं राहुल गांधी के ऐतराज के बाद उन्हें एंट्री मिल गई। अब किसान नेताओं से राहुल गांधी संसद भवन के अपने उस दफ्तर में मिल सकेंगे, जो उन्हें नेता विपक्ष के तौर पर मिला है। किसान नेताओं को एंट्री न मिलने के आरोपों पर मीडिया ने पूछा तो राहुल गांधी ने कहा कि यह बात तो आपको नरेंद्र मोदी ही बता पाएंगे।

राहुल गांधी ने अपने ही अंदाज में कहा कि इन लोगों को शायद इसलिए अंदर नहीं आने दे रहे हैं क्योंकि ये किसान हैं। वहीं अखिलेश यादव ने बजट में किसानों का ध्यान न रखने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि हम तो किसानों के लिए बजट मांग रहे थे, लेकिन ये उन लोगों के लिए पैकेज ला रहे हैं, जो सरकार चला रहे हैं। अखिलेश यादव ने कहा कि आखिर यूपी को कुछ क्यों नहीं मिला। यदि आप बिहार के लिए पैकेज दे रहे हैं और बाढ़ से राहत दिलाना चाहते हैं तो पहले नेपाल से बात करनी होगी और यूपी में बाढ़ कम करनी होगी। उत्तर प्रदेश में बाढ़ आनी बंद हो जाए तो फिर बिहार में भी नहीं आएगी।

आम बजट के खिलाफ INDIA अलायंस के नेताओं ने संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन भी किया है। विपक्षी दलों ने कहा कि इस बजट में सिर्फ दो राज्यों का ही ध्यान रखा गया है। अन्य राज्यों के साथ यह भेदभाव जैसी स्थिति है। राहुल गांधी ने कहा कि यह बजट तो संघीय ढांचे के खिलाफ है। राहुल गांधी के अलावा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी, अखिलेश यादव और टीएमसी के नेताओं ने भी आंदोलन में हिस्सा लिया।

विपक्षी नेताओं ने कहा कि अब यह सरकार ऐसा बजट लाई है कि बस कुर्सी बची रहे। संजय राउत ने कहा कि अब तक सिर्फ गुजरात ही ख्याल रखा जाता था। अब इस लिस्ट में दो और राज्य आंध्र प्रदेश और बिहार में शामिल हो गए। संजय राउत ने कहा कि पूरे बजट भाषण में एक बार भी महाराष्ट्र तक नहीं बोला गया।

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