*परिवार वालों को वीडियो भेज कर बताया अपना तकलीफ
झारखंड : गिरिडीह, बोकारो, हजारीबाग और धनबाद जिले के रहने वाले 36 प्रवासी मजदूरों ने ताजिकिस्तान से वीडियो बनाकर परिजनों को भेजा है साथी ही वतन वापसी के लिए भारत और राज्य सरकार से गुहार लगाई है। वहीं विदेश में फंसे मजदूरों के परिजनों का रो रो के बुरा हाल है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों के पास भी अपने लोगों को विदेश से वतन वापसी लाने के लिए गुहार लगाते फिर रहे हैं।
मजदूरों ने रविवार को मदद के लिए भारत और झारखंड सरकार के नाम त्राहिमाम संदेश भेजा है। उन्होंने सरकार से कहा गया है कि जिस कंपनी में मजदूर काम कर रहे थे, उसने चार महीने से वेतन नहीं दिया है। रुपए के अभाव में वे दाने-दाने को मोहताज हैं।
यह कोई पहला मौका नहीं है जब दलालों के चक्कर में लोग विदेशों में फंसे जाते हैं। इससे पहले ताजिकिस्तान में ही 44 मजदूरों के फंसने का मामला सामने आया था। लोग विदेश में नौकरी पाने के लिए एजेंटों को मोटी रकम देते हैं। जब वे विदेश में नौकरी करने जाते हैं, तो उन्हें बंधुआ मजदूरों जैसा बर्ताव किया जाता है। उन्हें वतन जाने नहीं दिया जाता है। जब वे वतन वापसी की बात करते हैं तभ वहां फंसे लोगों पर अमानवीय अत्याचार भी किया जाता है। उन्हें एक छोटे से कमरे में दस- दस की संख्या में रहने को विवश कर दिया जाता है। साथ ही भोजन तक उपलब्ध नहीं कराया जाता है। ऐसी ही कुछ स्थिति झारखंड के इन 36 मजदूरों का है।
मौजूदा मामले में सभी मजदूर पिछले चार महीने पहले बिष्णुगढ के पंचम महतो के माध्यम से ट्रांसमिशन लाइन के लिए काम करने ताजिकिस्तान गए थे। चार महीने से वेतन नहीं मिला है। इस कारण वे खाने के लिए दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं।