इमरजेंसी में काम आने वाले रखें घर में ये 6 डिवाइस मेडिकल इक्विपमेंट्स
नई दिल्ली: 1948 के दिन 7 अप्रैल 1948 के दिन विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थापना की गई थी। इसे डब्ल्यूएचओ के नाम से भी जाना जाता है। इस संगठन के स्थापना करने के 2 साल बाद से ही विश्व हेल्थ डे मनाया जाने लगा। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से लोगों को बीमारी के प्रति जागरूक करने के लिए मनाया जाता है। जिस तरह हर साल वर्ल्ड ऐड्स डे दिसंबर में मनाया जाता है, उसी तरह वर्ल्ड हेल्थ डे भी लोगों को अवेयर करने के लिए मनाया जाता है।
इस दिन लोगों को यह सीख दी जाती है कि वह कैसे खुशहाल और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। दरअसल, कोरोना महामारी जैसी बीमारियों से निपटने के लिए और अन्य तरह के वायरस, इन्फेक्शन प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ल्ड हेल्थ डे मनाना शुरू किया।
दुनिया भर में तरह-तरह की बीमारियां बढ़ती जा रही है। कोरोना महामारी के पास लोगों में कई बदलाव देखने को मिला है। कई लोग इतनी ज्यादा डर चुके थे कि उनका किसी बात को एक्सेप्ट करना भी मुश्किल हो जाता था। लेकिन उन्हें जागरूक करने के लिए और इस विषय में उन्हें समझाने के लिए यह दिन सबसे ज्यादा खास माना जाता है।
महामारी ने सभी को यह बता दिया है कि घर में कुछ मेडिकल डिवाइस का होना कितना जरूरी है। हेल्थ चेकअप के लिए हॉस्पिटल भी नहीं जा सकते हैं ऐसे में आपकी कोई हेल्थ प्रॉब्लम ज्यादा तो नहीं बढ़ रही है। इसकी जांच के लिए घर पर कुछ मेडिकल डिवाइस को जरूर रखना चाहिए। जो पेशेंट घर पर ही मेडिकेशन कर रहे हैं, उनके लिए खास आवश्यक है, खासतौर पर कोरोना पेशेंट के लिए ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर कितना जरूरी है। ताकि उनके ऑक्सीजन लेवल पर नजर रखी जा सके। कुछ ऐसे मेडिकल डिवाइस के बारे में बताएंगे जिनका घर में 24 घंटे रहना बहुत जरूरी है। यह मेडिकल डिवाइस डायबिटीज और हार्ट पेशेंट के लिए भी कारगर है। आज हम आपको पांच ऐसे मेडिकल इक्विपमेंट्स के बारे में बताने वाले हैं जो हर व्यक्ति के घर में जरूर होने चाहिए। दूसरी भाषा में कहें तो ये इक्विपमेंट किसी बड़ी मेडिकल इमरजेंसी से पहले आपको अलर्ट कर सकते हैं और आपकी जिंदगी बचा सकते हैं।
ये 6 मेडिकल डिवाइस फर्स्ट एड बॉक्स में होना चाहिए
जिस तरह से लोगों के बीच में दिक्कत बढ़ती जा रही है, उसे देखते हुए घर पर कुछ मेडिकल डिवाइस का होना बहुत जरूरी है। जिसकी जरूरत कभी भी पड़ सकती है। जैसा कि आजकल लोग लाइफस्टाइल डिजीज के शिकार हो रहे हैं और यह भी नहीं कहा जा सकता है कि कौन सा रोग कब किसे हो जाए। जैसे में कुछ जाचें जरूरी होती हैं। जिन्हें कोई बीमारी नहीं है, कहीं वो भी भविष्य में किसी बीमारी के चपेट में तो नहीं आ रहे हैं, इस बात को ध्यान में रखते हुए उन्हें भी महीने में एक बार कुछ जांचे जरूर करनी चाहिए। जो कि घर में मौजूद हेल्थ एप्लाइंसेज से आसानी से की जा सकती है। हर व्यक्ति के घर में फर्स्ट एड बॉक्स होना चाहिए। साथ ही परिवार के सभी सदस्यों को फर्स्ट एड देना आना चाहिए। फर्स्ट एड के अलावा आपके घर में वेट मशीन, बीपी मशीन, ग्लूकोमीटर, थर्मामीटर और पल्स ऑक्सीमीटर भी जरूर होना चाहिए। ये सभी इक्विपमेंट किसी बड़ी बीमारी को रोकने और इमरजेंसी से निपटने में कारगर साबित हो सकते हैं।
वेट मशीन (weight machine)
लोगों के लिए मोटापा एक समस्या बन चुका है। मोटापे से परेशान होकर लोग तरह-तरह की एक्सरसाइज और डाइट प्लान फॉलो कर रहे हैं। अगर आप घर पर ही अपने बॉडिवेट के बारे में समय-समय पर जानना चाहते है तो आपके पास वेट मशीन जरूर होनी चाहिए। वजन बढ़ने या घटने पर आप घर पर ही ये चेक कर सकते है और इसके लिए जरूरी कदम उठा सकते हैं। बाजार में आपको मात्र 1,000 रुपए के अंदर कई तरह की वेट मशीन मिल जाएंगी। दिखने में ये मशीन छोटी होती हैं, लेकिन यह आपको बड़ी बड़ी बीमारियों से बचा सकती है।
ग्लूकोमीटर (Glucometer)
समय के साथ खान-पान, रहन-सहन और लाइफ स्टाइल बदल गई है। लाइफ स्टाइल में बदलाव की वजह से आज शुगर की समस्या आम हो गई है। हर 3 परिवार में से 1 परिवार में आपको शुगर की समस्या जरूर सुनने को मिलेगी। शुगर लेवल अचानक बढ़ने या कम होने पर व्यक्ति को गंभीर समस्यां हो सकती है। अगर आपके घर में किसी व्यक्ति को ब्लड शुगर की समस्या है तो इसकी लगातार मॉनिटरिंग जरूरी है। शुगर लेवल की मॉनिटरिंग के लिए ग्लूकोमीटर हर व्यक्ति के घर में होना चाहिए। ग्लूकोमीटर तुरंत बॉडी में ब्लड शुगर की जानकारी देता है। इसके लिए आपको ज्यादा वेट नहीं करना पड़ता। टाइप 2 डायबिटीज की समस्या होने पर शरीर में पर्याप्त इंसुलिन नहीं बनता है। इस डिवाइस के माध्यम से शुगर लेवल को आसानी से डायग्नोस किया जा सकता है। डायबिटीज के मरीजों के लिए जरूरी है कि वो नियमित रूप से अपनी शुगर चैक करते रहें। घर में ब्लड शुगर टेस्ट करने के अनके फायदे हैं। जिससे आपको ये पता चलता रहेगा कि है कि आपको अपना शुगर लेवल कैसे कंट्रोल करना है। क्या चीज खाने के बाद आपके शुगर लेवल ज्यादा बढ़ रहा है। एक हेल्थ रिसर्च के मुताबिक खाना खाने से पहले ब्लड शुगर लेवल 80 से 130 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर या फिर 4.4 से 7.2 मिलीमोल प्रति लीटर होना चाहिए। खाना खाने के 2 घंटे बाद आपका ब्लड शुगर 180 मिलीग्राम/डीएल से कम होना चाहिए।
बीपी मशीन (BP Monitor)
बीपी की समस्या भी आज आम हो चुकी है। ऐसे में हर घर में एक बीपी मशीन जरूर होनी चाहिए। इस मशीन के जरिए समय-समय पर आप अपने बीपी को चेक करते रहें। बीपी मशीन शरीर में ब्लड प्रेशर की जानकारी देती है। हाय ब्लड प्रेशर को साइलेंट किलर भी कहा जाता है और शरीर में कब इसका लेवल बढ़ जाए कहा नहीं जा सकता है।बता दें ब्लड प्रेशर दो प्रकार का होता है जिसमें पहला सिस्टोलिक (Systolic) और दूसरा है डायस्टोलिक (Diastolic) होता है। ऊपर के ब्लड प्रेशर को सिस्टोलिक कहा जाता है जबकि, नीचे के ब्लड प्रेशर को हम डायस्टोलिक के नाम से जानते हैं। डायस्टोलिक की नार्मल रीडिंग 80 से कम होनी चाहिए जबकि, सिस्टोलिक की नार्मल रीडिंग 110 से 120 के बीच होनी चाहिए। यदि आपका ब्लड प्रेशर लेवल इससे ऊपर या नीचे होता है तो तुरंत अपने चिकित्सक को संपर्क करें। अगर देखा जाए तो आजकल हर घर में कोई न कोई बीपी पेशेंट मिल ही जाएगा। जितना खतरनाक हाय बीपी है, उतना ही लो बीपी भी शरीर के लिए नुकसानदेह है। तो ऐसे में यदि आपके घर पर भी कोई हायपरटेंशन पेशेंट है, तो उसके बीपी की जांच के लिए एक ब्लड प्रेशर मॉनिटर लेना एक अच्छा फैसला होगा। जिससे आप रोज उनकी बीपी के लेवल पर आसानी से नजर रख सकते हैं। लेकिन हां, अधिकतर बीपी मशीन फ्लक्चुएशन रीडिंग देती हैं, इसलिए दो से तीन रीडिंग लें और आखिरी रीडिंग के अनुरूप एक नोट करें
थर्मामीटर (Thermometer)
मौसम चेंज होने पर घर में किसी न कि व्यक्ति को बुखार जरूर आ जाता है। जिन लोगों का इम्युनिटी सिस्टम कमजोर होता है उन्हें मौसम परिवर्तन की वजह से एकदम बुखार आता है। थर्मामीटर होने से आप घर पर ही बुखार का लेवल नाप सकते है। यदि बुखार बढ़ता है तो ये डिवाइस आपको सचेत करता है और फिर आप अपने डॉक्टर को संपर्क कर सकते हैं। थर्मामीटर हर घर में होना सबसे ज्यादा आवश्यक है। थर्मामीटर में आप डिजिटल थर्मामीटर का चुनाव करें, तो ज्यादा अच्छा होगा। इससे आप फीवर को आसानी से नाप सकते हैं। इसका इस्तेमाल बच्चों के लिए भी काफी आसान होता है। डिजिटल थर्मामीटर में आपको एक्यूरेट टेंपरेचर का पता चल जाता है। इसमें दिए गए डिजिटल स्क्रीन में आप आसानी से टेंपरेचर को देख सकते हैं। मैनुअल थर्मामीटर के अलावा इसमें 20 सेकंड में शरीर का टेंपरेचर चेक कर सकते हैं, साथ ही इसे नोट भी करते रहें।
पल्स ऑक्सीमीटर (Pulse Oximeter)
कोरोना के दौरान जिस डिवाइस के लिए लोगों ने खूब माथापच्ची की वह है पल्स ऑक्सीमीटर। कोरोना के बाद से आज लगभग हर घर में आपको पल्स ऑक्सीमीटर जरूर मिल जाएगा। पल्स ऑक्सीमीटर की मदद से आप शरीर में ऑक्सीजन लेवल को नाप सकते हैं। पल्स ऑक्सीमीटर कितना जरूरी है, यह किसी से छुपा नहीं है। ऑक्सीमीटर केवल कोविड पेशेंट के लिए ही नहीं, बल्कि और भी कई हेल्थ डिजीज में काम आता है, जैसे कि अस्थमा या किसी को लंग्स से संबंधित कोई डिजीज है, तो यह उनके लिए भी उपयोगी है। इस डिवाइस के माध्यम से रोगी के शरीर में कहीं ऑक्सीजन लेवल की कमी तो नहीं हो रही है, इस पर नजर रखी जा सकती है। इसमें ऑक्सीजन लेवल और पल्स रेट दोनों का ही पता चलता है। यदि ऑक्सीमीटर पर आपका ऑक्सीजन लेवल 95 से अधिक है तो आप स्वस्थ हैं। अगर ऑक्सीजन लेवल 90 से नीचे है, तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने की आवश्यकता है।
ईसीजी मॉनिटर (ECG Monitor)
हार्ट पेशेंट की संख्या भी आजकल बढ़ती जा रही है, पहले लोगों को ईसीजी के लिए तुरंत अस्पताल भागना पड़ता था, लेकिन अब घर पर ही पोर्टेबल ईसीजी मॉनिटर के माध्यम से अपने हार्ट की हेल्थ पर आसानी से नजर रखा जा सकता है। इसमें हार्ट रेट का भी पता चल जाता है। हार्ट पेशेंट को इस डिवाइस को घर पर जरूर रखा चाहिए। पोर्टेबल ईसीजी डिवाइस दो इंच की होती है। इसे जेब में रख सकते हैं। इस चिप पर बने निशान पर दोनों हाथ की एक-एक उंगली और पैर का कोई हिस्सा छूते ही 30 सेकेंड में ईसीजी रिकार्ड हो जाएगा। ब्लू टूथ की मदद से इस डिवाइस को मोबाइल से जोड़कर ईसीजी रिकार्डिंग डॉक्टर को भेज सकते हैं। अब पोर्टेबल ईसीजी डिवाइस से घर बैठे दिल की धड़कन पर 24 घण्टे नजर रखी जा सकती है। इस डिवाइस से की गई ईसीजी 80 फीसदी तक सटीक और सही है।