देश की मुस्लिम महिलाओं का एक बड़ा अंश ‘एक समान कानून’ के समर्थन में

देश की 82 फीसदी मुस्लिम महिलाएं संपत्ति में पुरुषों और महिलाओं का समान अधिकार चाहती हैं। 74 प्रतिशत मुस्लिम महिलाएं तलाक पर बिना किसी प्रतिबंध के पुनर्विवाह का अधिकार चाहती हैं। समान नागरिक संहिता (यूसीसी) सर्वेक्षण में पाया गया कि कम से कम 67.2 प्रतिशत मुस्लिम महिलाएं शादी, तलाक, गोद लेने और विरासत जैसे व्यक्तिगत मामलों में सभी भारतीयों के लिए एक समान कानून का समर्थन करती हैं। समान नागरिक संहिता पर 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कराए गए एक प्राइवेट एजेंसी के सर्वे में 8,035 मुस्लिम महिलाओं में से 5,918 ने यह फैसला दिया। शोधकर्ताओं ने साक्षात्कार के दौरान यूसीसी का उल्लेख नहीं किया। हालाँकि, जब बातचीत के दौरान यूसीसी के बात आया, तो उन्होंने सवाल उठाया कि क्या कानून के प्रावधान धर्म की परवाह किए बिना सभी पर लागू होंगे। उस समय पता चला कि 74 प्रतिशत तलाकशुदा मुस्लिम महिलाएं बिना किसी प्रतिबंध के पुनर्विवाह का अधिकार चाहती हैं।

जब शोधकर्ताओं ने चर्चा के समय कुछ सवालों का जवाब उनसे जानना चाहा तो उन्होंने यह भी जानना चाहा यूसीसी आएगा तो कानून की किस धारा में बदलाव होगा | यह पूछे जाने पर कि क्या पुरुषों और महिलाओं को विरासत और संपत्ति के उत्तराधिकार पर समान अधिकार होना चाहिए, 82 प्रतिशत (6,615) महिलाओं ने 'हां' कहा, 11 प्रतिशत (893) ने 'नहीं' कहा, और 7 प्रतिशत (527) महिलाओं ने कहा 'नहीं' पता है','या मैं नहीं कह सकता'| उत्तरदाताओं में, स्नातक और उच्च शिक्षा पूरी करने वाली 86 प्रतिशत (2,600) महिलाओं ने 'हां' कहा, 10 प्रतिशत (313) महिलाओं ने 'नहीं' कहा, जबकि 4 प्रतिशत (120) महिलाओं ने कहा 'पता नहीं या कह नहीं सकतीं'| 18-44 वर्ष के लोगों में, 84 प्रतिशत (5,259) ने 'हाँ' कहा, 11 प्रतिशत (661) ने 'नहीं' कहा, और 6 प्रतिशत (357) ने कहा 'पता नहीं या कह नहीं सकते'| 44 से अधिक उम्र वालों में 78 प्रतिशत (1,356) ने 'हां' कहा, 13 प्रतिशत (232) ने 'नहीं' कहा, और 9 प्रतिशत (152) ने कहा 'पता नहीं या कह नहीं सकते'|

सर्वेक्षण में शामिल महिलाओं में से, 19 प्रतिशत 18-24 आयु की थीं, 33 प्रतिशत 25-34 आयु की थीं, 27 प्रतिशत 35-44 आयु की थीं, 14 प्रतिशत 45-54 आयु की थीं, 5 प्रतिशत 55-64 आयु की थीं और 2 प्रतिशत 65 से अधिक आयु की थीं | इनमें 11 प्रतिशत पोस्ट ग्रेजुएट, 27 प्रतिशत ग्रेजुएट, 21 प्रतिशत 12+ कक्षा, 14 प्रतिशत 10+ कक्षा, 13 प्रतिशत पाँचवीं से 10वीं कक्षा, 4 प्रतिशत पाँचवीं कक्षा तक पढ़े हैं। शेष 4 प्रतिशत निरक्षर हैं और 4 प्रतिशत हस्ताक्षर कर सकते हैं।

केंद्र ने हाल ही में कहा था कि विधि आयोग फिर से यूसीसी पर परामर्श करेगा। इसे देखते हुए मुस्लिम संगठनों ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है | ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने कहा है कि एक कोड के नाम पर 'बहुसंख्यक नैतिकता' धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों पर हावी नहीं हो सकती।

स्नातक शिक्षा प्राप्त मुस्लिम महिला अधिक सहयोगी हुए हैं। जब  उनसे पूछा गया कि क्या 18-44 साल के लोग शादी, तलाक, गोद लेने और विरासत जैसे व्यक्तिगत मामलों पर सभी भारतीयों के लिए एक समान कानून का समर्थन करेंगे ? 67.2 फीसदी यानी 5403 महिलाओं ने 'हां' में जवाब दिया | 2039 यानी 25 फीसदी ने 'नहीं' कहा, 7 फीसदी यानी 593 लोगों ने कहा 'पता नहीं' या 'कह नहीं सकते'| स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों में 68.4 प्रतिशत या 2,076 महिलाएं एक समान कानून लागू करने के पक्ष में हैं। 27 प्रतिशत या 820 लोगों ने "नहीं" कहा। 4.6 फीसदी या 137 लोगों ने कहा 'पता नहीं' या 'कह नहीं सकते'| 4366 आयु वर्ग के लोगों (69.4 प्रतिशत) ने सामान्य कानून का समर्थन किया, 24.2 प्रतिशत (1524) ने कहा 'नहीं', 6.4 प्रतिशत या 405 ने कहा 'पता नहीं' या 'कह नहीं सकते'। 

सर्वेक्षण में शामिल महिलाओं में से 70.3% विवाहित थीं, 24.1% अविवाहित थीं, 2.9% का पति मृत था और 2.9% तलाकशुदा थीं। कुल उत्तरदाताओं में से 73.1% सुन्नी, 13.3% शिया और 13.6% अन्य हैं।

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