*तीन मंत्रियों ने राज्यपाल और राजभवन पर की थी अमर्यादित टिप्पणी , राज्यपाल के प्रधान सचिव डॉ नीतिन मदन कुलकर्णी ने कैबिनेट सचिव को लिखा पत्र, मांगा जवाब
रांची : झारखंड राज्य के 11वें मंत्री बेबी देवी के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान कुछ कैबिनेट मंत्रियों की तरफ से राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन के खिलाफ किये गये बयानबाजी पर राजभवन की तरफ से मंत्रिमंडल समन्वय विभाग को पत्र लिखा गया है। पत्र में शपथ ग्रहण के दौरान मंत्री मिथिलेश ठाकुर, बन्ना गुप्ता और मंत्री हफीजुल अंसारी के दिये गये बयानों पर राज्यपाल ने नाराजगी जाहिरकी है। राज्यपाल ने इन मंत्रियों के बयान को आचरण के विपरीत बताया है। राज्यपाल के प्रधान सचिव नितीन मदन कुलकर्णी ने एक पत्र लिखकर राज्य के कैबिनेट सचिव वंदना दादेल को कहा है कि शपथ ग्रहण समारोह के दिन माननीयों के बयान और दोषारोपण कर राजभवन में नहीं आने का आचरण मर्यादा के अनुकुल नहीं था। राज्य सरकार ने राजभवन के पत्र को गंभीरता से लिया है। यह कहा जा रहा है कि हेमंत सोरेन सरकार जल्द ही मंत्रियों और विधायकों को मर्यादा के अनुकुल आचरण को लेकर प्रोटोकॉल गाइडलाइन जारी करेगी।
तीन जुलाई को बेबी देवी ने मंत्री पद की शपथ ली थी। इसके लिए राजभवन के दरबार हॉल में शपथ ग्रहण कार्यक्रम आयोजित हुआ था। इस दौरान सीमित लोगों को समारोह में बुलाया गया था। मंत्रियों को पूरे काफिले के साथ शामिल होने अनुमति नहीं थी। मंत्री मिथिलेश ठाकुर अपने लोगों के साथ शपथ ग्रहण समारोह में राजभवन जाना चाह रहे थे। लेकिन, राजभवन के अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों ने केवल मंत्री को ही अंदर जाने को कहा। इसको लेकर विवाद हो गया था। मंत्री मिथिलेश ठाकुर शपथ ग्रहण समारोह कार्यक्रम में नहीं जाने दिये जाने को लेकर नाराज होकर राजभवन गेट से ही लौट गए थे। मंत्री ने मीडिया को दिये गये बयान में कहा था कि राजभवन तानाशाही रवैया अपना रहा है। राजभवन की तरफ से तुगलकी फरमान जारी किया गया है। राज्यपाल भाजपा के इशारे पर काम कर रहे हैं। उन्हें यहां से बेइज्जत होकर लौटना पड़ रहा है। इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी, क्योंकि जनता देख रही है कि चुने गए जनप्रतिनिधि को भी किस तरह अपमानित किया जा रहा है।
वहीं, शपथ ग्रहण समारोह में मंत्री बन्ना गुप्ता और हफीजुल हसन भी अपने साथ आए लोगों को लेकर जाना चाहते थे। लेकिन, गेट पर सुरक्षाकर्मियों के रोके जाने पर दोनों अकेले ही राजभवन गए। हफीजुल हसन की वहां तैनात अफसरों के साथ बकझक हो गई थी। वे करीब आधे घंटे तक गेट के बाहर अपनी गाड़ी में बैठे रहे। बाद में अकेले अंदर गए। समारोह से लौटने पर उन्होंने मीडिया से कहा था कि राज्यपाल द्वारा यह मंत्री को अपमानित करने की सोची समझी चाल है।