दंड संहिता में महिला ‘बॉस’ को छूट क्यों? बीजेपी के सांसदों ने संसदीय स्थायी समिति में सवाल उठाया

नई दिल्ली : दंड संहिता में महिला ‘बॉस’ को छूट क्यों? बीजेपी सांसद ने संसद की स्थायी समिति में उठाया सवाल | नौकरी की पेशकश या प्रमोशन के नाम पर यौन उत्पीड़न के आरोप अक्सर सामने आते रहते हैं। अगर पुरुष ‘बॉस’ महिला कर्मियों को नौकरी न देकर या प्रमोशन का लालच देकर उनका यौन उत्पीड़न करते हैं तो नई “दंड संहिता” सख्त कदम उठाने की सिफारिश करती है। लेकिन उस स्थिति में अगर महिला ‘बॉस’ दुष्ट हो तो क्या होगा? बीजेपी सांसद दिलीप घोष वह नीरज शेखर ने “दंड संहिता विधेयक” पर गृह मंत्रालय की संसदीय स्थायी समिति में यह सवाल उठाया | सांसदों ने सुझाव दिया कि ‘मालिकों’ को लिंग की परवाह किए बिना समान सज़ा दी जानी चाहिए, पुरुष या महिला नहीं। 

नौकरी की पेशकश या प्रमोशन के नाम पर यौन उत्पीड़न के आरोप अक्सर सामने आते रहते हैं। अधिकांश मामलों में, चाहे सार्वजनिक हों या निजी, महिलाएँ इस प्रकार के यौन उत्पीड़न की शिकार होती हैं। इसीलिए केंद्र सरकार के “दंड संहिता विधेयक” में ऐसे (पुरुष) ‘मालिकों’ के खिलाफ सख्त कार्रवाई की सिफारिश की गई है। नई दंड संहिता में दोषी पाए जाने पर जुर्माने के अलावा दस साल तक की जेल की सजा की सिफारिश की गई है। 

सूत्रों के अनुसार, भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं बंगाल भाजपा के अध्यक्ष-सांसद नीरजशेखर ने आज दंड संहिता विधेयक पर गृह मंत्रालय की चर्चा के दौरान पूछा, “लेकिन अगर एक महिला बॉस अपने पुरुष अधीनस्थ का यौन उत्पीड़न करती है तो क्या होगा” ? पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर के बेटा सांसद नीरज शेखर जानना चाहते हैं कि अगर ‘बॉस’ एक महिला है और उसके खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप है तो मामले में सजा क्या है ? दिलीप घोष समेत कई सांसदों ने उनका समर्थन किया | दिलीप-नीरज के मुताबिक वक्त तेजी से बदल रहा है। कई कंपनियों की सीईओ अब महिलाएं हैं। तो फिर आरोप का तीर केवल पुरुषों पर ही क्यों जाएगा ? महिला ‘मालिकों’ को क्यों मिलेगी छूट ? सांसदों का सुझाव है कि अगर महिलाएं कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की दोषी पाई जाती हैं, तो उन्हें लिंग भेदभाव के बिना समान सजा दी जानी चाहिए। 

सूत्रों के मुताबिक, इस संबंध में उस समिति के सदस्य और तृणमूल सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने स्थायी समिति के अध्यक्ष बृजलाल को पत्र लिखकर शिकायत की है कि स्थायी समिति की बैठक में विपक्ष द्वारा दिये गये भाषण को रिकॉर्ड नहीं किया जा रहा है | पत्र में उन्होंने लिखा, डीएमके सांसद दयानिधि मारन ने पिछले महीने हुई समिति की बैठक में एक बयान दिया था, उन्होंने चेयरमैन को पत्र भी लिखा | सूत्रों के मुताबिक, डेरेक ने आरोप लगाया कि स्थायी समिति के मिनट्स में दयानिधि के बयान या पत्र का कहीं जिक्र नहीं है | सूत्रों के मुताबिक, डेरेक ने स्थायी समिति के सामने बुलाए गए विशेषज्ञों से सभी पक्षों से इनपुट लेने सुझाव दिया है |

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