मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश, नेपाल और पाकिस्तान की संसद में भी भारत से ज्यादा महिला संसद

नई दिल्ली : ‘महिला संरक्षण विधेयक’ लोकसभा में पास हो चुका है जो कि राज्यसभा में पहले ही पास हो चुका था | जानकार सूत्रों के मुताबिक, मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले महिला वोटरों का दिल  जीतने के लिए इस बिल को पास कराने का फैसला लिया है | आंकड़ों के मुताबिक, लोकसभा में महिला सदस्यों की संख्या के मामले में भारत 185 देशों में से 141वें स्थान पर है। भारत में केवल 15 प्रतिशत सांसद महिलाएँ हैं, जो विश्वभर में औसत से काफी नीचे है, यहां तक ​​कि प्रतिशत के तौर पर यह पड़ोसी देश बांग्लादेश, पाकिस्तान और नेपाल से भी कम है। 

नए संसद भवन में विशेष सत्र चल रहा है जहां पहले ‘महिला संरक्षण विधेयक’ को संसद के पटल पर रखा गया है और पास भी किया गया है | यह एक ऐतिहासिक कदम कहा जा सकता है, वहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘महिला संरक्षण विधेयक’ का नाम ‘नारी शक्ति बंधन अधिनियम’ रखा है। प्रधानमंत्री ने कहा, ”यह बिल अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में कई बार पेश किया गया था, लेकिन पर्याप्त समर्थन न मिलने के कारण यह बिल पारित नहीं हो सका। लेकिन मुझे लगता है कि भगवान ने मुझे इस बिल को संसद में पारित करवाने के लिए चुना है”| कांग्रेस नेता अधीर चौधरी ने प्रधानमंत्री के इस बयान की कड़ी निंदा की | उनके मुताबिक, इस बिल की योजना वाजपेयी युग से बहुत पहले बनाई गई थी जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे। लेकिन अब सरकार उस बिल का नाम बदलकर लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रही है |

विपक्ष के एक वर्ग ने नये विधेयक का स्वागत करने के बावजूद इस विधायक के कुछ अंश पर आलोचना भी किया | इनमें तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी शामिल हैं | दूसरी ओर, कांग्रेस और आप जैसी पार्टियों ने शिकायत की है कि विधेयक को अब तक जानबूझकर पेश नहीं किया गया है और लोकसभा चुनाव में फायदा उठाने के लिए इसमें देरी किया गया है। राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कहा, ”बीजेपी 2024 के चुनाव में इस विधायक का फायदा उठाना चाहते हैं | इस बीच बीजेपी प्रचार कर रहे है कि महिलाओं के लिए वह ऐतिहासिक काम कर रहे हैं, इसे 2014 में किया जाना चाहिए था।

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