भारत से मोबाइल फोन निर्यात 45,000 करोड़ रुपये के पार

नई दिल्ली: ‘मेक इन इंडिया’ पहल को बढ़ावा देते हुए, भारत ने चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-अगस्त की अवधि के बीच 5.5 बिलियन डॉलर (45,000 करोड़ रुपये से अधिक) के मोबाइल फोन निर्यात किए। वाणिज्य विभाग और इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन के अनुमान के अनुसार, अप्रैल-अगस्त की अवधि में 5.5 अरब डॉलर के मोबाइल फोन निर्यात हुए, जबकि वित्त वर्ष 22-23 की समान अवधि में 3 अरब डॉलर का निर्यात हुआ था।

उद्योग सूत्रों के अनुसार अप्रैल-अगस्त की अवधि में भारत निर्मित फोन निर्यात में एप्पल सबसे आगे रहा और पहली बार कुल अनुमानित आंकड़े के 50 प्रतिशत से अधिक को पार कर सैमसंग दूसरे स्थान पर रहा। सूत्रों ने बताया कि जून तिमाही में, एप्पल ने देश के कुल 12 मिलियन स्मार्टफोन शिपमेंट में से लगभग 50 प्रतिशत निर्यात किया, जबकि सैमसंग ने 45 प्रतिशत निर्यात किया।

यह पहली बार है जब एप्पल ने देश से स्मार्टफोन निर्यात मात्रा में अपने दक्षिण कोरियाई समकक्ष सैमसंग को पीछे छोड़ दिया है, क्योंकि इसमें आईफोन 15 सीरीज की मजबूत बिक्री और मांग देखी गई जो पिछले साल की तुलना में 100 प्रतिशत (या 2 गुना) से अधिक थी। भारत चालू वित्त वर्ष में मोबाइल फोन निर्यात में 1,20,000 करोड़ रुपये को पार करने के लिए तैयार है, जिसमें एप्पल वित्त वर्ष 24 में 50 प्रतिशत से अधिक के साथ बाजार में अग्रणी रहेगा।

नवीनतम आंकड़ों के अनुसार घरेलू विनिर्माण से प्रेरित, एप्पल आईफोन इस साल एंड्रॉइड-प्रभुत्व वाले स्मार्टफोन बाजार में 7 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी हासिल करने के लिए भी तैयार है। देश में इस साल की पहली छमाही में एप्पल आईफोन शिपमेंट में 68 प्रतिशत (साल-दर-साल) की वृद्धि हुई।

मार्केट रिसर्च फर्म साइबरमीडिया रिसर्च (सीएमआर) के अनुसार, पहली छमाही में एप्पल ने भारतीय स्मार्टफोन बाजार में 6 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी हासिल की और 63 प्रतिशत की मजबूत बाजार हिस्सेदारी के साथ सुपर-प्रीमियम स्मार्टफोन सेगमेंट (50,000 रुपये से 100,000 रुपये के बीच) पर अपना दबदबा बनाया।

पहली बार एप्पल ने अपनी वैश्विक बिक्री के पहले दिन भारत निर्मित आईफोन 15 और 15 प्‍लस बेचे, साथ ही उन इकाइयों को कुछ अन्य बाजारों में भी निर्यात किया। ऐसा अनुमान है कि लॉन्च तिमाही में आईफोन 15 की शिपमेंट, जो भारत में बड़े पैमाने पर त्योहारी सीजन की शुरुआत करती है, ‘मेक इन इंडिया’ पहल में वृद्धि के कारण लगभग 65 प्रतिशत रहेगी।

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