झील में जुगनुओं का शहर

हरे भरे ऊंचे पहाड़, बहती ठंडी हवा, मनोरम वादियां, झील, झरने भला किसे ना सुहाते होंगे पर चलने में असमर्थ लोगों के लिए पहाड़ की दुश्वारियां भी कुछ कम नहीं होती! चढ़ाई, ढलान,जगह जगह सीढ़ियां, उबड़ खाबड़ रास्ते, कुछ कदमों में ही हम जैसों का दम फुला देते हैं( व्हीलचेयर पहाड़ों पर किसी काम की नहीं) इस कारण मन मसोसती रहती थी! वर्षा ऋतु भी पैर रोक रही थी, इस ऋतु में पहाड़ धसकने का खतरा बना रहता है! 

पर सब कठिनाइयों को धता बता कुछ दिन पहले हमसफर सतीश जी के साथ नैनीताल जाने का प्लान बना ही लिया! रात 11:00 बजे आनंद विहार से रवाना हुई बस ने सुबह 5:30 बजे हमें हल्द्वानी उतार दिया! स्लीपर सीटें बुक की थी इसलिए रात में लेटने को मिल गया! नींद तो क्या आती, किस्तों में झपकियां लीं ! कुल मिलाकर सफर आराम देह रहा! वॉशरूम बस में ही था! दिल्ली से कब हल्द्वानी पहुंच गए पता ही ना चला!

आगे नैनीताल का सफर कार से तय करना था! मार्ग में वर्षा के कारण नहा धोकर ताजा हुई प्रकृति मुस्कुराती सी प्रतीत हुई! मेघा छाए हुए थे बादलों के गोले द्रुत गति से चलायमान थे, कुछ हमें छू कर निकल जाते ! ऊंचे ऊंचे हरियल पहाड़ गगनचुंबी वृक्ष, टेढ़ी-मेढ़ी पगडंडियों, शीतल हवा, कुछ कुछ दूरी पर बने हुए घर नैनीताल की मनोरम वादियां मन मोह रही थी, अद्भुत नजारे देखने को मिले! बहुत ही खूबसूरत सफर था !

नैनीताल से कुछ दूर पहले चाय के लिए एक स्थान पर रुके! यहां लोगों का हुजूम लगा था !कुछ चाय पी रहे थे कुछ यूट्यूब और इंस्टाग्राम के लिए रील बना रहे थे! फोटो तो लगभग सभी ने लिए! 8:00 बजे हम पहले से बुक किए हुए अपने होटल पहुंच गए! रूम पर पहुंच फ्रेश होने के बाद आलू के पराठे दही और अचार के साथ खा सीधे बिस्तर की राह पकड़ी! दो-घंटे आराम के बाद नैनीताल एक्स फ्लोर करेंगे ऐसा हम दोनों ने तय किया!

नैनीताल में पहनने के लिए मैंने नए परिधान खरीदे थे! 2 घंटे आराम के बाद हम नहा धोकर तैयार हुए और नैनी झील पहुंच गए! हमारे होटल से नैनी झील 200 मीटर ही दूर थी किंतु रास्ता ढलान लिए हुए था इतनी दूरी चल पाना मेरे लिए संभव न था, अंततः टैक्सी करनी पड़ी! नाव तक पहुंचना. भी बहुत मशक्कत भरा रहा! मॉल रोड से बहुत सारी ऊंची ऊंची सीढ़ियां उतरने के बाद घाट आता है, डगमगाती नाव पर सवार होना भी मेरे लिए टेढ़ी खीर थी पर जहां चाह वहां राह.. कई नाविक मदद के लिए आ गए और सतीश जी तो थे ही किसी तरह नाव में बैठ गई! नैनीताल में उस दिन धूप नहीं थी बादलों की आवाजाही लगी हुई थी, धुआं सा उड़ाते सफेद बादलों के झुंड के झुंड आकाश में विचरण कर रहे थे चारों ओर से ऊंची पहाड़ियों से घिरी इस शांत मनोरम झील में नौका विहार मेरे जिंदगी के खूबसूरत लम्हों में से एक है इस अविस्मरणीय अनुभूति को मैं जी भर जी लेना चाहती थी पर सुख के लम्हे अकेले कैसे जीती ,नौका से ही बच्चों को वीडियो कॉल लगाई उनसे बात की और उन्हें चारों तरफ के खूबसूरत नजारे दिखाए एक पल मन में ख्याल आया बच्चे मां को बच्चों समान उमंगते देख क्या सोच रहे होंगे! पर दिल तो बच्चा है जी!

आधा घंटा नौका विहार कर हम तट पर आ गए! थोड़ी देर नैनीताल के माल रोड पर सैर करते रहे! अभी भी नैनीताल में आए सैलानियों की भीड़ में कोई खास अंतर नहीं पड़ा था! उत्साह उमंग से लबरेज युवाओं की टोलियां, प्रेमी युगल, युवा दंपत्ति, न्यूक्लियर फैमिली हर उम्र और हर वर्ग के लोग नैनीताल भ्रमण करते हुए मिले! हर तरफ मुस्कुराहटें ठहाके और खुशनुमा कोलाहल हम दोनों भी इस माहौल में घुल मिल गए!

नैनीताल की प्राकृतिक सुषमा में तो मुझे कोई कमी नहीं मिली पर स्थान स्थान पर वहां फ़ैली गंदगी और कूड़े के ढेर मजा किरकिरा कर रहे थे!

नैनी झील के किनारो पर पानी की सतह के ऊपर भारी मात्रा में तैरती पानी की खाली बोतलें, चिप्स चॉकलेट इत्यादि के खाली रैपर, पॉलिथीन समेत कचरे के अंबार झील की खूबसूरती में बट्टा लगा रहे थे! इस सब पर दृष्टि पड़ते ही एक पल को मन खिन्न हो गया !

नैनीताल का माल रोड लगभग 2 किलोमीटर लंबा है! झील के सामने रोड पार तमाम तरह की खाने-पीने की, कपड़े, जूते, खिलौने, इलेक्ट्रॉनिक , कॉस्मेटिक, सजावटी सामान की दुकानें, होटल, ट्रैवल एजेंसीयां इत्यादि मौजूद है!

छोटे बड़े शोरूमो के साथ-साथ खोमचे वाले भी भारी तादाद में वहां देखे जा सकते हैं! दुकानों के सामने, रोड पार चारों ओर से पहाड़ों से घिरी विशालकाय नैनी झील है!

झील के किनारे किनारे सैलानियों के विश्राम के लिए बेंचे पडी हैं! रात्रि में झील के पानी पर पड़ते पहाड स्थित घरों में जलती रोशनीयों के प्रतिबिंब अद्भुत दृश्य पेश करते हैं! दिल्ली की उमस भरी भयानक गर्मी के बरक्स किनारे पड़ी उन बेंचो पर बैठ , बहती शीतल बयार को तन पर महसूसते हुए , चाय कॉफी स्नैक्स के सेवन के साथ साथ इन अप्रतिम नजारों को निहारना बहुत अच्छा लगता परंतु कभी-कभी आसपास की गंदगी के कारण हवा में बहती दुर्गंध के कारण दूभर भी हो जाता ! ऐसे में कुछ खाने पीने का मन ना करता!

प्रशासन के साथ-साथ सैलानियों का भी यह दायित्व बनता है कि प्राकृतिक स्थलों पर गंदगी ना फैलाएं!

उस दिन देर शाम तक हम नैनीताल में घूमते रहे! रोपवे पर सवार हो स्नो प्वाइंट तक पहुंचे! इतनी ऊंचाई से शहर को, नैनी झील को, हरियल पहाड़ों को निहारना भीतर तक तरोताजा कर गया! भांति भांति के फूड स्टाल समेत एक छोटा सा बाजार वहां लगा हुआ था! चीजों के दाम अपेक्षाकृत कुछ ज्यादा थे! 

अगले दिन हमारा भीमताल, नोकुचिया ताल इत्यादि देखने का प्रोग्राम बना! नाश्ते इत्यादि से निपट लगभग 10:30 तक हम भीमताल के लिए रवाना हो गए ! होटल से ही कैब बुक कर ली थी! ड्राइवर काफी बातूनी था, काफी समय से वह नैनीताल रह रहा था इसलिए नैनीताल घूमने आए सैलानियों के बारे में काफी मजेदार बातें उसने बताई!

घुमावदार रास्तों पर हमारी टैक्सी दौड़ रही थी! उस दिन मौसम काफी सुहावना था! ठंडी हवा चल रही थी वर्षा के कारण वादियां बिल्कुल हरी भरी थी, रास्ते में ऊंचे ऊंचे पहाड़ आंख मिचोली सी खेल रहे थे! ऊंचाई से देखने पर नीचे के मकान बिल्कुल खिलौना स्वरूप प्रतीत होते! ज्यूं ज्यूं हम भीमताल के समीप आये हवा कुछ-कुछ गर्म होती गई, भीमताल नैनीताल से नीचे है! नैनीताल जैसा बहुत ठंडा नहीं है!

भीमताल का मुख्य आकर्षण है झील के बीच स्थित एक छोटा सा द्वीप जिस पर एक फिश एक्वेरियम और कैफै मौजूद है! नौका करके ही वहां पहुंचा जा सकता है! इस झील का पाट नैनी झील की अपेक्षा कुछ ज्यादा चौड़ा है, बहुत से सैलानी नौका विहार का आनंद उठाते हमे वहां मिले ! हमने भी नौका विहार का आनंद उठाया, देर तक झील की सैर की व अंत में झील के बीचोबीच स्थित टापू पर उतर गए! पहले फिश एक्वेरियम देखा! टापू स्थित दो मंजिला केफै बहुत खूबसूरत लगा ! फर्स्ट फ्लोर को ओपन रखा गया है व खूबसूरती से सजाया संवारा गया है वहां बैठ कर खाने पीने का अच्छा इंतजाम है!

चारों तरफ बहते पानी और ऊपर नील गगन को निहारते हुए वहां बैठ सुस्वादु व्यंजनों का आनंद लिया जा सकता है पर क्योंकि हम भरपेट नाश्ता करके चले थे सो तब भूख नहीं थी इसलिए सिर्फ कॉफी ही हमने वहां पी! बहुत से सेल्फी प्वाइंट वहां बनाए गए थे! कुछ लोग रील भी बना रहे थे!

दो घंटे वहां बिता हम नोकुचिया ताल की ओर निकल पड़े! वर्षा ने वहां हमारा स्वागत किया ! छाते की आड़ में हम झील के किनारे पड़ी बेंच पर बैठ गए, बारिश तेज ना थी! समीप ही चाय का एक ठेला था! रिमझिम बारिश के बीच चाय सुढ़कते हुए हम झील में तैरती बत्तखो को देखने लगे! बारिश तेज होने पर हम एक भवन के छज्जे के नीचे खड़े हो गए! उत्तराखंड की पारंपरिक पोशाक और आभूषण पहन फोटो क्लिक करवाने वाले एक भैया की दुकान उस भवन के बिल्कुल पास ही थी! बारिश रुकने पर पारंपरिक पोशाक और आभूषण धारण कर मैंने भी फोटो खिंचवाई! बारिश रुकने पर वहां के लोकल बाजार से मैंने छोटी मोटी खरीददारी की! नौकुचिया ताल में कुछ एडवेंचर एक्टिविटीज भी होती है! वर्षा के कारण उस दिन वह एक्टिविटीज बंद थी! इस समय तक 4 00 बज गए थे और अब हम नैनीताल की ओर वापस हो लिए कुछ कुछ थकान महसूस हो रही थी होटल पर पहुंचकर आराम करने का मन हो रहा था शाम को 7:00 बजे हमें वापस दिल्ली के लिए निकलना भी था!

नैनीताल होटल में पहुंचहमने सारा सामान पैक किया और बस स्टैंड की ओर रवाना हो गए! यही से कैब द्वारा पहले हमें हल्द्वानी ले जाया जाएगा और फिर वहाँ से दिल्ली तक की यात्रा इंटरसिटी बस द्वारा होनी थी! नैनीताल यात्रा की बेशुमार खूबसूरत यादों को अपने जेहन में संजोए तड़के ही हम दिल्ली पहुंच गए!

 प्रोफेसर सुमित्रा मेहरोल ,श्याम लाल कॉलेज सांध्य ,दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली

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