महाराष्ट्र के नवयुवकों को उद्योग शुरू करने की दिशा में प्रोत्साहित कर आत्मनिर्भर बनाने के लिए शुरू किया गया मुख्यमंत्री रोजगार सृजन स्कीम (सीएमईजीपी) की धज्जियां उड़ती नजर आ रही है। मिली जानकारी के मुताबिक महाराष्ट्र में 2019 से लागू इस योजना के लिए बैंकों ने युवाओं के अधिकांश प्रस्तावों को रद्द कर दिया है, दिलचस्प बात यह है कि एक साल पहले आवेदन करने वाले कुछ लोगों को पता ही नहीं है कि उनके आवेदन खारिज कर दिए गए हैं।
राज्य में मुख्यमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (सीएमईजीपी) 2019 से शुरू किया गया था। इस योजना का उद्देश्य पांच वर्षों में एक लाख से अधिक सूक्ष्म और लघु उद्योगों की स्थापना करना और उसके माध्यम से लगभग दस लाख रोजगार के अवसर प्रदान करना था।
सरकार के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार चालू वर्ष के 40 हजार 975 के कुल 48 हजार 993 और पिछले वर्ष के 8 हजार 18 ऑनलाइन आवेदन बैंकों को भेजे गए, जिसमें से बैंकों ने 3 हजार 722 को मंजूरी दी जबकि 21 हजार 389 को रिजेक्ट कर दिया गया। बैंकों का कहना है कि शेष 23 हजार 882 आवेदनों पर अभी कार्रवाई की जा रही है। स्वीकृत उद्यमियों के लिए अब तक 104. 61 करोड़ आवंटित किए गए हैं।
युवाओं का कहना है कि अब उन्हें इस परियोजना पर विश्वास नहीं रहा है। जिस उत्साह को उन्होंने आत्मनिर्भर बनने की ओर कदम उठाया था वह सब खत्म हो जा रहा है । उनका कहना है कि उन्हें पता नहीं कि उनका लोन कब तक स्वीकृत होगा होगा या नहीं होगा इस मामले में न तो बैंक और न ही उद्योग विभाग कोई जानकारी दे रहा है। उद्योग विभाग के मंत्री उदय सामंत भी इस मामले में चुप्पी साधे बैठे हैं।