विजय संकल्प महारैली में अमित शाह ने झारखंड के मुख्यमंत्री को लिया आड़े हाथ
जनता से वर्तमान सरकार को उखाड़ फेंकने का किया आव्हान
रिपोर्ट-मनप्रीत सिंह
झारखंड : झारखंड में वर्ष 2024 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विजय संकल्प महारैली के बहाने चुनावी तैयारियों की घोषणा कर दी है। इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर आदिवासी विरोधी होने का आरोप भी जड़ दिया। लेकिन जिन नेताओं के भरोसे श्री शाह विजन 2024 में विजय प्राप्त करने की घोषणा की है। उनमें से अधिकांश भाजपा नेता पार्टी का बंटाधार करने वाले हैं। वे शनिवार को चाईबासा में आयोजित विजय महासंकल्प रैली के दौरान एक ही मंच पर दिखे है। जाहिर है विजन 2024 में विजय श्री प्राप्त करने के लिए भाजपा को अपने ही अंदरूनी गुट से जूझना पड़ेगा। झारखंड में 14 लोकसभा सीट और 81 विधानसभा सीट है। विगत लोकसभा चुनाव में लोकसभा के 12 सीट पर भाजपा ने जीता हासिल किया था। जबकि सिंहभूम और दुमका में भाजपा ने लोकसभा की 2 सीट गवा दी थी।
वहीं विधानसभा में 81 सीट में से भाजपा के पास 26 सीट है। निर्दलीय दो और एजेएसयू 2 सीट पर काबिज है। वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा 30 सीट कांग्रेस 18 सीट, सीपीआई 1 सीट , रजद एक सीट पर काबिज है। इन लोगों ने मिलकर प्रदेश में सरकार बनाई है। इससे पूर्व भाजपा तीन दफे झारखंड में राज्य कर चुकी है। जिसमें जनजातीय समाज के बाबूलाल मरांडी पहले मुख्यमंत्री बन चुके हैं । उसके बाद अर्जुन मुंडा और सामान्य लोगों में से रघुवर दास ने झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में कमान संभाल चुके हैं।
बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा और रघुवर दास में तालमेल नहीं है । भाजपा ने झारखंड में तीन मुख्यमंत्री दिए है। जिनमें से 2 आदिवासी समाज से आते हैं और एक सामान्य कैटेगरी से हैं। वर्तमान में आलम यह है कि तीनों का एक दूसरे से नहीं बनता है। जिसका परिणाम विगत विधानसभा चुनाव में देखने को मिला था।
भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास अपने गृह जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के बागी नेता सरजू राय से बुरी तरह पराजित हो गए। सरजू राय के कारण पूरे कोल्हान मैं संपैथ लहर दौड़ी और भाजपा का सफाया हो गया । इस दौरान रघुवर दास को हराने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के भरोसेमंद साथी भाजपा नेता अमरजीत सिंह काले पर भी आरोप लगे। उस समय बताया गया कि यह सब अर्जुन मुंडा के इशारे पर रघुवर दास को हराया गया है। अर्जुन मुंडा और रघुवर दास एक साथ मंच पर जरूर दिखते हैं लेकिन पर्दे के पीछे एक दूसरे को पटखनी देने से बाज नहीं आते। यह बात राजनीति क्षेत्र के पंडित बखूबी जानती है। भले ऑल इज वेल की कहानी सुनाई जाती रही हो। वहीं बाबूलाल मरांडी भी भाजपा से अलग होकर जेबीएम नामक पार्टी चला रहे थे। जो बाद में भाजपा में मर्ज हो गया । बाबूलाल मरांडी पर डोमिसाइल के नाम पर आदिवासी गैर आदिवासियों को लड़ाने का भी आरोप लगता रहा है । बाबूलाल के सबसे करीबी नेताओं में शामिल अभय सिंह और रघुवर दास की अदावत लोग आज भी नहीं भुला पाए हैं चुनाव के दौरान किस तरह अभय सिंह भाजपा के पोलिंग बूथ को उखाड़ फेंकना और सरेआम गाली गलौज करना उनके स्वभाव में शामिल था। अभय सिंह के इशारे पर बाबूलाल मरांडी रघुवर दास से दूरी बनाए रखते हैं।जाहिर है कि यह तीनों पूर्व मुख्यमंत्री एक दूसरे का भट्टा बैठाने वाले हैं। इस बीच भाजपा ने अंदरूनी कलह को पाटने के लिए और अपने वोट बैंक में इजाफा करने के लिए बाबूलाल मरांडी को पुनः भाजपा में सम्मिलित कर लिया। वही अर्जुन मुंडा को केंद्रीय राजनीति में ले गए। इसके बाद भी तीनों पूर्व मुख्यमंत्री अभी भी झारखंड की सत्ता पर काबिज होने का सपना संजोए बैठे हैं।
चाईबासा टाटा कॉलेज मैदान में शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विजय संकल्प महारैली मैं हुंकार भरते हुए विपक्ष को आड़े हाथ लिया उन्होंने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को आदिवासी विरोधी करार दिया उन्होंने कहा कि जनजातीय महिलाओं से जबरजस्ती शादी कर जमीन हड़प आ जा रहा है मुख्यमंत्री जमीन हड़पने का जो घोर पाप कर रहे हैं हम उसका निंदा करते हैं और भाजपा इसके लिए संघर्ष करेगी उन्होंने कहा कि खाद्यान्न रोजगार और शिक्षा के नाम पर यहां के जनजातियों को धोखा दिया जा रहा है प्रधानमंत्री के नेतृत्व में नक्सल की समस्या को समाप्त किया जाएगा विकास कार्यों की एक लंबी सूची और लेकर आए हैं उन्होंने मुख्यमंत्री से प्रश्न किया कि वह बताएं कि वोट बैंक की राजनीति और आदिवासियों की हित की अनदेखी के अतिरिक्त क्या किया है इस बार झारखंड की जनता परिवर्तन करने जा रही है और यहां की निकम्मी और भ्रष्ट सरकार को बदलने जा रही है। उन्होंने लोगों से प्रश्न किया कि क्या 1932 के खतियान पर लोगों को नौकरी मिल जाएगी।
शाह ने कहा कि झारखंड की हेमंत सोरेन की सरकार ने झारखंड को तबाह कर दिया है। ये सरकार आदिवासी विरोधी सरकार है। पूरे भारत की गरीबी यहां से मिटाई जा सकती है, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। जब हमारी सरकार यहां थी तो हमारी सरकार ने यहां शिक्षा, स्वास्थ्य, विद्युतीकरण जैसी योजनाओं पर काम शुरू किया था, लेकिन फिर ऐसी सरकार आई जिसने राज्य को तबाह करके रख दिया। अटल जी ने बिहार से राज्य को अलग करने की मांग को पूरा किया था।उन्होंने कहा कि इस राज्य का मुख्यमंत्री तो जनजातियों का है मगर ये उन्ही का विरोधी है। राज्य में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। जबरन उनकी जमीन लूटी गई है। राज्य में घुसपैठिओं से रक्षा करने की जिम्मेदारी किनकी है, उनकी है या नहीं, लेकिन अपनी वोट बैंक के लिए यहां की माता- बहनों के साथ जो वो कर रहे हैं. जनता उन्हें माफ नहीं करेगी। इसका परिणाम उन्हें 2024 में देखने को मिल जाएगा। 2024 में कमल खिल जाएगा। राज्य में नौकरी के नाम पर युवाओं और खतियान के नाम पर आदिवासियों के साथ धोखा हुआ है। शाह ने कहा कि हमने एक आदिवासी महिला को राष्ट्रपति बनाया है। द्रौपदी मुर्मू जी आज देश की राष्ट्रपति है। ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी आदिवासी को ये पद दिया गया है। वहीं, उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार ने आदिवासियों की जमीन बेचने का काम किया है. सोरेन सरकार घुपैठियों के मध्यम से यहां के आदिवासियों की जमीन हड़पने का काम करवा रही है। इस सरकार ने केवल और केवल भ्रष्टाचार किया है। इस बार झारखंड में परिवर्तन आएगा।
इस दौरान मंच पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, जमशेदपुर सांसद विद्युत वरण महतो, बीडी राम, संजय सेठ, सुनील सिंह, समीर उरांव, सुनील सोरेन, पीएन सिंह, निशिकांत दुबे, सुदर्शन भगत, आदित्य साहू, रांची मेयर आशा लकड़ा, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिनेशानंद गोस्वामी समेत अन्य नेता मौजूद थे।