झारखंड में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र जी ने अपने भाई और धर्मपत्नी के साथ किए थे निवास

*बनवास के दौरान झारखंड में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र जी ने अपने भाई और धर्मपत्नी के साथ किए थे निवास, आज भी साक्षी के रूप में उनके चरण कमल के चिन्ह और स्थापित किए गए शिवलिंग है मौजूद….

**पर्यटन स्थल राम तीर्थ मंदिर की सुविधाओ में झारखण्ड सरकार द्वारा विस्तार करना चाहिए — – निसार अहमद

झारखंड: राज्य के पश्चिम सिंहभूम जिले जगन्नाथपुर अनुमण्डल में बैतरणी नदी तट पर एक शानदार, रामतीर्थ रामेश्वर मंदिर एक अद्भुत एव लोकप्रिय मंदिर है।इस मंदिर के बारे में कई रोचक किस्से मशहूर हैं। यहां भगवान राम के पैरों के निशान मौजूद हैं। इन पैरों का दर्शन कर धन्य हो सकते हैं ।इलाके में ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ जब 14 वर्षों के वनवास पर थे, तो समय यहां भी पहुंचे थे। तीनों ने बैतरणी नदी के इस तट पर आराम किया था। इसके बाद भगवान राम ने खुद अपने हाथाें से यहां शिवलिंग की स्थापना की थी। भगवान राम ने इस शिवलिंग की पूजा की थी। कुछ दिनों तक यहां विश्राम करने के बाद भगवान राम नदी पार कर आगे की यात्रा पर निकल गए थे।

उक्त तथ्यों को मुस्लिम होते हुए मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम को अपना आदर्श मानने वाले नोवामुंडी क्षेत्र मे चर्चित समाजसेवी तथा राम तीर्थ मंदिर विकास समिति अधिशासी सदस्य निसार अहमद ने बताया। राम तीर्थ मंदिर विकास समिति अधिशासी सदस्य निसार अहमद राम तीर्थ मंदिर विकास समिति के अध्यक्ष सनद प्रधान, पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा एवं सांसद गीता कोड़ा के साथ साथ ग्रामीणों के द्वारा किए जा रहे विकास के प्रति प्रतिक्रिया देते हुए वर्तमान झारखण्ड सरकार द्वारा उक्त पर्यटन स्थल के सुविधाओं में विस्तार करनी चाहिए।झारखण्ड के पूर्व गर्वनर सिब्ते रजी ने द्वारा भी मंदिर को उड़ीसा राज्य के चंपुआ से जोडने वाली पुलिया का निमार्ण का प्राक्कलन बना पुलिया
निमार्ण में अग्रणी योगदान निभाई गई है।मंदिर को सजाने संवारने व विकसित करने में झारखण्ड राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा का योगदान ग्रामीणों के लिए वरदान साबित हुआ है। राम तीर्थ मंदिर पर परिचर्चा करते समाजसेवी निसार अहमद ने बताया कि ग्रामीणों के द्वारा कहा जाता है कि भगवान श्री राम यहाँ से जाते समय अपना खड़ाऊं और पदचिह्र यहां छोड़ गए थे। बहुत दिनों बाद पास के देव गांव के एक देवरी को स्वप्न आया। तब इस स्थान के बारे में पता चला। इसके बाद स्थानीय लोगों ने यहां मंदिर का स्वरूप दे दिया। ग्रामीण बताते हैं कि यहां मंदिर का निर्माण 1910 में कराया गया।यह मंदिर पश्चिमी सिंहभूम जिले के जगन्नाथपुर प्रखंड में रामतीर्थ के नाम से मशहूर व चर्चित है। अब यहां चार मंदिर मौजूद हैं। इनमें रामेश्वर शिव मंदिर, सीताराम मंदिर, भगवान जगन्नाथ मंदिर और बजरंग बली मंदिर शामिल हैं। यह सभी मंदिर देखने में काफी आकर्षक हैं। यहां का प्राकृतिक वातावरण मन को काफी आनन्द व शांति देता है। यहां हर वर्ष मकर संक्रांति पर बहुत बड़ा मेला लगता है। दूर -दूर से यहां लोग नदी में स्नान करने आते हैं। सुबह से ही स्नान कर पूजा करने का सिलसिला शुरू हो जाता है। ग्रामीण बताते हैं कि यहां झारखंड के अलावा ओडिशा के मयूरभंज और सुदंरगढ़ से भी बड़ी संख्या में लोग आते हैं। भगवान श्रीराम के पदचिह्रों का दर्शन कर खुद को धन्य महसूस करते हैं।मंदिर के पास में ही एक छोटा-सा गांव है- देव गांव। यहां के ग्रामीणों ने इस मंदिर की देखभाल के लिए कमेटी बना रखी है। कमेटी ने ही मंदिर को विशाल और सुंदर स्वरूप दिया है। प्रत्येक सोमवार को यहां पूजा अर्चना की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि यहां पूजा अर्चना करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। अन्य मंदिरों की तुलना में रामतीर्थ मंदिर की अलग पहचान है। सावन, महाशिवरात्रि और मकर मेला, कार्तिक पूर्णिमा पर यहां मंदिर कमेटी की ओर से विशेष व्यवस्था की जाती है। मंदिर भव्य तरीके से सजाए जाते हैं। बरहाल उक्त मंदिर झारखंड राज्य में चर्चित होता जा रहा है । भगवान राम भक्तो का आवागमन एवं श्रद्धा का केंद्र के कारण काफी लोकप्रिय हो रहा है। बरहाल यहाँ की वैतरणी नदी पर ध्यान दिया जाय तो इस क्षेत्र में रोजगार की संभावनाओं को नकारा नही जा सकता है।वैतरणी नदी इस क्षेत्र के लिए किसी वरदान से कम नहीं होगा ।
लोगों के लिए व्यवसायिक केन्द्र के रूप में यह ग्रामीणों के शुभ संकेत दिख रहा है।

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