उड़ीसा से बिहार, झारखंड और बंगाल में गांजा तस्करी का हुआ खुलासा-द फाइनेंसल वर्ल्ड की रिपोर्ट पर लगी मुहर

7 तस्कर हुए गिरफ्तार भारी मात्रा में गांजा हुआ जप्त

झारखंड : द फाइनेंस वर्ल्ड की रिपोर्ट पर मुहर लग गई है कि उड़ीसा मादक पदार्थ सप्लाई का केंद्र बनता जा रहा है। यहां से झारखंड बिहार बंगाल सहित अन्य राज्यों में मादक पदार्थों की सप्लाई हो रही है। इस संबंध में पूर्वी सिंहभूम जिला के पुलिस ने 78 किलो गांजा के साथ सात तस्करों को गिरफ्तार किया है। उनके वाहन और मोबाइल फोन भी जप्त किए गए हैं ।सभी तस्कर उड़ीसा से गांजा लेकर झारखंड के रास्ते बिहार गांजा की तस्करी करने जा रहे थे।


गुप्त सूचना के आधार पर पूर्वी सिंहभूम जिला के पुलिस ने उड़ीसा और झारखंड के बॉर्डर बहरागोड़ा में छापेमारी कर 78 किलो गांजा के साथ सात लोगों को गिरफ्तार किया है ।गिरफ्तार किए गए आरोपियों में राजू दास, सचिदानंद बेरा, स्वपन कुमार गोराई, अभिषेक गिरी, राजदीप सिंह, मनसा रामदास और राजदीप सिंह शामिल है।सभी बहरागोड़ा और आस पास के रहने वाले है। इस संबंध में ग्रामीण एसपी मुकेश लुणायत ने बताया कि पुलिस को सूचना मिली थी कि ओडिशा से एनएच 33 होते हुए शहर में गांजा की तस्करी हो रही है। शनिवार को भी दो कार से गांजा की तस्करी होने वाली है। सूचना पर एसडीपीओ कुलदीप टोप्पो के नेतृत्व में एक टीम का गठन कर नाकेबंदी की गई।इस दौरान कालिया डांगा के पास दो कार पुलिस को देखते हुए भागने का प्रयास करने लगी। पुलिस ने दोनो कार का पीछा करते हुए धर दबोचा। कार की तलाशी लेने पर दोनो कारों की डिक्की से कुल 78 किलो गांजा बरामद किया गया। ग्रामीण एसपी ने बताया कि पूछताछ में जानकारी मिली है कि सभी गांजा को आंध्रप्रदेश के विजयनगर से खरीदकर जमशेदपुर ला रहे थे जहां उन्हें किसी और के हाथों गांजा सौंपना था। पुलिस को अन्य लोगों के बारे में भी जानकारी मिली है ।जिसकी गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है। उन्होंने बताया कि आरोपियों कम मूल्य पर गांजा को खरीदकर लाते हैं और अधिक दाम पर बेचते हैं। पूरे गांजा का मूल्य लाखो रुपए है। दूसरी ओर जानकार बताते हैं कि तस्कर उड़ीसा और साउथ के बॉर्डर से गांजा तीन से चार हजार रुपए प्रति किलो की दर से खरीद कर लाते हैं और शहर में 15 से बीस हजार रूपए प्रति किलो के हिसाब से बेच देते हैं। जिसे रिटेलर गांजा विक्रेता 25 से तीस हजार रुपए किलो की दर से बेचते हैं। इसके लिए छोटे पैकेट पुलिया बनाए जाते हैं।

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