ग़ज़ल – आँसू

ममता किरण

हर हाल में हैं साथ मेरे यार हैं आँसू
खुद्दार कभी हैं कभी ग़मख़्वार हैं आँसू

गिनती में भले उसके ये दो-चार हैं आँसू
हिम्मत के,भरोसे के ये भंडार हैं आँसू

हर बात को वो दिल से लगा लेती है उसकी
आंखों से छलक पड़ने को तैयार हैं आँसू

मालूम है बच्चे को भी मनवाये कैसे ज़िद
रखता है सदा साथ जो हथियार हैं आँसू

बेटा है बसा जब से विलायत में,तभी से
अम्मा के लिए गांव में संसार हैं आँसू

शीशे के परे बेटी है होने को रवाना
आंखों में भरे ख़्वाबों से गुलज़ार हैं आँसू

लगती हैं फ़िज़ाओं में पड़ी ओस की बूंदें
कुदरत के मनोभाव का इज़हार हैं आँसू

महफ़िल में सुने शेर तो दी दाद ‘किरण’ को
पर उसके लिए ये सभी अशआर हैं आँसू

Related Posts

About The Author