*सबसे फिसड्डी रहे गढ़वा और देवघर जिले , सीएसआर के तहत खर्च हुए 160 करोड़ रुपए का नहीं है हिसाब किताब
*सीएसआर के तहत स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और ग्रामीण विकास परियोजनाओं पर खर्च हुई सबसे अधिक राशि
मनप्रीत सिंह /ब्युरो चीफ़ – ईस्ट
झारखंड : लोकसभा के बजट सत्र में रांची के सांसद संजय सेठ ने झारखंड में कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत हुए कार्यों का लेखा-जोखा मांगे जाने पर सीएसआर की राशि प्राप्त करने में पहले स्थान पर जमशेदपुर, दूसरे स्थान पर रांची और सबसे फिसड्डी गढ़वा और देवघर के होने का खुलासा हुआ है। साथ ही राज्य में 210 करोड़ रुपए के तहत सीआरएस फंड खर्च किए गए है। जिसमें से160 करोड़ रुपए खर्च का लेन-देन का हिसाब सरकार को उपलब्ध नहीं हुआ है। संभावना व्यक्त की जा रही है उक्त राशि के खर्च में गड़बड़ी की गई है।
सांसद श्री सेठ ने लोकसभा में यह सवाल रखा कि इसके नियमों में कोई परिवर्तन किया गया है क्या? और इससे संबंधित क्या दिशा निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही पिछले 1 वर्ष के दौरान रांची सहित पूरे झारखंड में सीएसआर के तहत हुए कार्यों का लेखा-जोखा भी सांसद ने मांगा।
सांसद के सवाल के जवाब में केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने बताया कि कंपनी नियम 2014 में संशोधन को सूचित किया गया है। इन संशोधनों का उद्देश्य प्रकरणों में सुधार करके इसे और सुदृढ़ बनाना, अनुपालन का सरलीकरण करके इसे अधिक से अधिक उपयोगी बनाना है। ताकि सीएसआर के तहत कल्याण के और अधिक कार्य किए जा सके।
केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि झारखंड में विभिन्न कंपनियों के द्वारा सीएसआर के तहत कई कार्य किए गए हैं, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण, गरीबी, भूख कुपोषण मिटाना, ग्रामीण विकास परियोजनाएं, स्वच्छता, वरिष्ठ नागरिक कल्याण, अनाथालय की स्थापना जैसे कई कार्य है। इन कार्यों के तहत जनकल्याण का काम किया गया है।
केंद्रीय मंत्री ने संसद में बताया कि अधिनियम की अनुसूचित कार्यकलापों के पात्र सूची को दर्शाती है। जिन्हें कंपनियों द्वारा सीएसआर के रूप में प्रारंभ किया जा सकता है। इस नियम के तहत किया जाता है, जिसके द्वारा कंपनियां अधिनियम के प्रावधानों का अनुपालन करती है। केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि सीएसआर ढांचा प्रकटन पर आधारित है और इसके कार्यकलापों का ब्यौरा फाइल करना अनिवार्य है। जब कभी सीएसआर प्रावधानों के उल्लंघन की रिपोर्ट प्राप्त होती है, तो इसकी जांच और कानून की सम्यक प्रक्रिया का अनुसरण करते हुए, ऐसी कंपनियों के विरुद्ध कार्रवाई भी की जाती है। सीएसआर से संबंधित गड़बड़ियों पर प्रश्मनीय अपराध होती थी, अब सीएसआर प्रावधानों के 11 अनुपालन को एक सिविल अपराध के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है।
केंद्रीय मंत्री ने सांसद को लोकसभा में बताया कि झारखंड में सीएसआर के तहत जिलावार 210 करोड़ रूपए का कार्य बीते 1 वर्ष में किया गया है। इसमें सबसे अव्वल जमशेदपुर जिला है, जहां 12.30 करोड रुपए खर्च किए गए हैं वही रांची में एक 11.79 करोड रुपए खर्च किए गए हैं। 160 करोड रुपए ऐसे खर्च हुए हैं, जिसका उल्लेख किसी जिले में नहीं किया गया है। सीएसआर की राशि प्राप्त करने में सबसे फिसड्डी गढ़वा और देवघर जिले हैं इन दोनों जिलों में महज 0.11 रुपए खर्च किया गया है। केंद्रीय मंत्री ने सांसद को बताया कि 1 वर्ष में झारखंड में जो 210 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं, उसमें सबसे अधिक राशि स्वच्छता पर खर्च हुई है, जो 57 करोड़ रुपए है। इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य देखभाल पर ₹48 करोड़, शिक्षा पर ₹35 करोड़ और ग्रामीण विकास परियोजनाओं पर ₹21 करोड़ खर्च हुए हैं।
इसके अतिरिक्त खेल प्रशिक्षण, व्यवसाई कौशल, महिला सशक्तिकरण, कृषि वानिकी, पशु कल्याण, कला संस्कृति, लैंगिक समानता, स्वच्छता, अनाथालय की स्थापना, झुग्गी बस्तियों का विकास सहित कई अन्य कार्यों में भी बड़ी मात्रा में राशि खर्च की गई है।