अग्निपथ योजना सेना की बेहतरी और राष्ट्रहित में है: दिल्ली हाईकोर्ट

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को अग्निपथ स्कीम को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया।चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी, इसमें जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद भी शामिल थे।

कोर्ट ने कहा- अग्निपथ योजना सेना की बेहतरी और राष्ट्रहित में लिया गया फैसला है। इसलिए सरकार के फैसले में कोर्ट के दखल देने की कोई वजह नहीं दिखती।
15 दिसंबर 2022 को कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं और केंद्र सरकार की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। फैसला सुरक्षित रखते हुए कोर्ट ने यह भी कहा था कि अगर किसी को कोई आपत्ति है, तो वो अपनी लिखित दलीलें दाखिल करें।
अग्निपथ स्कीम को 14 जून, 2022 को पेश किया गया था। इस स्कीम के तहत आर्म्ड फोर्सेज में युवाओं का भर्ती किए जाने के नए नियम बताए गए थे। इन नियमों के मुताबिक, साढे 17 साल से लेकर 21 साल तक की उम्र के युवा ही इसमें अप्लाय कर पाएंगे और उन्हें चार साल के लिए भर्ती किया जाएगा।
सरकार ने यह कदम तनख्वाह और पेंशन का बजट कम करने के लिए उठाया था।
भर्ती किए गए लोगों में से 25% को नियमित सर्विस के लिए चुना जाएगा। इस स्कीम की घोषणा होने के बाद देश के कई हिस्सों में युवाओं ने इसका विरोध शुरू कर दिया था। इस दौरान कई जगह उपद्रव भी देखने को मिला। इन्हें देखते हुए सरकार ने भर्ती होने के लिए उम्र की सीमा को बढ़ाकर 21 से 23 साल कर दिया।इस दौरान जमकर राजनीति हुई थी।सड़क से संसद तक हंगामा हुआ था। मामला कोर्ट तक पहुंच गया। जिस में आज फैसला आया है।

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