गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की नृशंस हत्या के मामले में जेल में बन्द बिहार के पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई का रास्ता साफ हो गया है।
सोमवार को बिहार विधि विभाग ने आनंद मोहन समेत 27 कैदियों को रिहा करने का आदेश जारी कर दिया है। विधि विभाग की अधिसूचना जेल आईजी के पास पहुंच चुकी है। फिलवक्त आनंद मोहन सहरसा जेल में बन्द है। सहरसा जेल को आदेश मिलते ही आनंद मोहन समेत सभी को रिहा करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। किंतु आनंद मोहन की रिहाई को आइएएस एसोसियेशन ने गंभीरता से लिया है। सेंट्रल आईएएस एसोसिएशन ने गोपालगंज के पूर्व जिलाधिकारी स्वर्गीय जी कृष्णैया की नृशंस हत्या के दोषियों को कैदियों के वर्गीकरण नियमों में बदलाव कर रिहा करने के बिहार सरकार के फैसले पर गहरी निराशा व्यक्त किया है। सेंट्रल एसोसियेशन, दिल्ली की ओर से 25 अप्रैल को जारी एक पत्र के अनुसार कर्तव्यपरायण लोक सेवक की हत्या के आरोप में दोषी को कम जघन्य श्रेणी में पुनर्वर्गीकृत नहीं किया जा सकता। एक मौजूदा वर्गीकरण में संशोधन, जो कर्तव्य पर एक लोक सेवक के सजायाफ्ता हत्यारे की रिहाई की ओर ले जाता है, न्याय से वंचित करने के समान है। इस तरह के कमजोर पड़ने से नपुंसकता होती है। लोक सेवकों के मनोबल में गिरावट, सार्वजनिक व्यवस्था को कमजोर करता है और न्याय प्रशासन का मजाक बनाता है। एसोसियेशन ने आगे लिखा है कि हम दृढ़ता से अनुरोध करते हैं कि बिहार सरकार जल्द से जल्द अपने फैसले पर पुनर्विचार करे। एसोसिएशन के इस पत्र से देश के आईएएस समूह में असंतोष की भावना झलकने लगी है।