खड़गे-नीतीश की चिंता,केंद्रीय नागरिक संहिता मुद्दे पर विपक्षी एकता में पड़ सकती है दरार

नई दिल्ली : “समान नागरिक संहिता”, 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र की भाजपा सरकार ने देश की कानूनी व्यवस्था के इस बहु प्रतीक्षित ‘सुधार’ को एक अचूक चाल के तौर पर इस्तेमाल कर रहे है | एक मुद्दे के रूप में ‘यूनिफार्म सिविल कोड’ के उभरने से विपक्षी खेमे में दरार पैदा होने की संभावना है, माना जा रहा है कि इस मुद्दे पर विपक्षी खेमा बंट सकता है। केंद्रीय विधि आयोग के एक सर्कुलर में ‘समान नागरिक संहिता’ (यूसीसी) पर आम जनता से विचार मांगे गए और यही अब राष्ट्रीय राजनीति का मुख्य मुद्दा है। ‘समान नागरिक संहिता’ पर कांग्रेस पहले ही सिद्धांत ले चुकी है, उनके मुताबिक, केंद्र मुख्य मुद्दे से ध्यान हटाने के लिए समान नागरिक संहिता को अचानक मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहा है |

जयराम रमेश ने कहा, “लॉ कमीशन की परंपरा रही है, एक राजनीतिक दल का उद्देश्य विधि आयोग का उद्देश्य नहीं हो सकता है। यह भाजपा की अलगाववाद और धार्मिक विभाजन की राजनीति को पहचानने का एक और प्रयास है”।

कांग्रेस ही नहीं तृणमूल, जदयू, राजद, वाम दलों ने भी समान नागरिक संहिता पर केंद्र के नए प्रयास का विरोध किया। तृणमूल के राज्यसभा नेता डेरेक ओ’ब्रायन ने शिकायत भरी लफ़्ज़े में कहा की मोदी सरकार अपने किसी भी वादे को पूरा करने में विफल रही है और 2024 से पहले विभाजनकारी राजनीति को उकसाने के लिए बेताब है। लेकिन समस्या यह है कि विरोधी खेमे में मतभेद हैं। उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र में कांग्रेस के सहयोगी उद्धव ठाकरे हमेशा ‘समान नागरिक संहिता’ के समर्थक रहे हैं और वह फिर से इसका समर्थन करेंगे। विपक्षी खेमे की प्रमुख ताकतों में से एक अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी भी यूसीसी की समर्थक है, उनके लिए इसका विरोध करना भी मुश्किल होगा। इसलिए विपक्ष की होनेवाली बैठक से पहले ‘समान नागरिक संहिता’ को लेकर विपक्ष की चिंता का विषय है। पटना में विपक्ष की उस बैठक में एक के खिलाफ एक फॉर्मूले पर चर्चा होगी, साथ ही चर्चा के एजेंडे में ‘समान नागरिक संहिता’ पर भी चर्चा होगी। अगर सहमति नहीं बनी तो यह यूसीसी आने वाले दिनों में विपक्ष की एकता को तोड़ सकती है।

Related Posts

About The Author