1000 करोड़ के अवैध खनन घोटाला मामले में झारखंड सरकार ने सीसीए लगा कर सात अगस्त को किया था गिरफ्तार,झारखंड हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी मुंगेरी यादव की ओर से दर्ज की गयी याचिका
साहेबगंज अवैध खनन घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (इडी) के गवाह प्रकाश चंद्र यादव उर्फ मुंगेरी यादव को देश की शीर्ष अदालत ने सोमवार शाम पांच बजे तक साहेबगंज जेल से रिहा करने का निर्देश दिया। पत्थर व्यवसायी मुंगेरी यादव की नजरबंदी को सुप्रीम कोर्ट ने रिहा करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार की इस कार्रवाई यानी झारखंड क्राइम कंट्रोल एक्ट के तहत मुंगेरी यादव को गिरफ्तार करने की घटना को अवैध कार्रवाई करार दिया है। यह अब तक अवैध खनन मामले में झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार पर करारा झटका है। सात अगस्त 2022 को रांची से पटना जाने के दौरान प्रकाश चंद्र यादव को गिरफ्तार किया गया था। यह हवाला दिया गया था कि मुंगेरी यादव के बाहर रहने से कानून व्यवस्था को खतरा पहुंच सकता है। मुंगेरी यादव के ऊपर राजमहल थाना में आर्म्स एक्ट को लेकर प्राथमिकी दर्ज की गयी थी। उसके बाद से ही मुंगेरी यादव क्राइम कंट्रो एक्ट के अंतर्गत हिरासत में हैं। 1000 करोड़ क संताल परगना में हुए अवैध खनन, ट्रांसपोर्टेशन मामले में मुंगेरी यादव इडी के गवाह भी हैं।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अनिरुद्ध बोस और सुधांशु धुलिया की खंडपीठ ने यह फैसला दिया है। झारखंड हाईकोर्ट ने मुंगेरी यादव की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्हें क्राइम कंट्रोल एक्ट के तहत हिरासत में लिये जाने को चुनौती दी गयी थी। सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरन कहा कि झारखंड हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के आवेदन में उठाये गये किसी भी बिंदू पर सुनवाई नहीं की। इतना ही नहीं राज्य सरकार की तरफ से जबरन हिरासत में लिये जाने को लेकर राज्य सलाहकार समिति से अनुमोदन नहीं लिया गया। याचिकाकर्ता ने कहा था कि राज्य सरकार ने सलाहकार समिति को गलत जानकारियां मुहैया करायी, पर सीसीए के तहत की गयी गिरफ्तारी के बारे में नहीं बताया। सुप्रीम कोर्ट ने दस्तावेजों का अध्य्यन करने पर पाया कि मुंगेरी यादव ने राज्य सरकार के पास 18 अगस्त तक कई रीप्रेजेंटेशन दिये थे। जबकि राज्य सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि 10 नवंबर 2022 में एक आवेदन आया था। शीर्ष अदालत में सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा कि राज्य सरकार की तरफ से आरोपी के रीप्रेजेंटेशन पर जानबूझ कर 85 दिनों तक देर की गयी। इसी को आधार मान कर साहेबगंज जेल से तत्काल छोड़े जाने का निर्देश दिया गया।
साहेबगंज जिला प्रशासन की तरफ से मुंगेरी यादव पर पिछले वर्ष अगस्त माह में झारखंड क्राइम कंट्रोल एक्ट की धारा 12(1), 12 (2) लगाया गया था, जिसके बाद गिरफ्तार करने की बातें कही गयी थीं। यह भी कहा गया था कि गंगा नदी के किनारे हुए तथाकथित फायरिंग की घटना में प्रकाश चंद्र यादव भी शामिल थे। गंगा नदी में फेरी चलाने से संबंधित निविदा में डाहू यादव और प्रकाश चंद्र यादव के बीच फायरिंग की घटना भी हुई थी। निविदा में भाग नहीं लेने देने के लिए डाहू यादव के करीबी बच्चू यादव ने प्रकाश चंद्र पर फायरिंग भी की थी। डहू यादव 1000 करोड़ के अवैध खनन घोटाले का आरोपी है और फिलहाल इडी की पहुंच से बाहर है। इडी की तरफ से इसके खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी किया गया है, वहीं बच्चू यादव जेल के बाहर हैं। यहां बताते चलें कि जिला प्रशासन ने डाहू यादव पर भी सीसीए लगाने की अनुशंसा की थी। सीसीए नियमावली के तहत संबंधित जिलों के उपायुक्तों को यह अधिकार दिया गया है कि वह किसी भी व्यक्ति को 12 दिनों के लिए हवालात भेजा जा सकता है। राज्य के गृह सचिव की अनुशंसा पर गिरफ्तार किये गये व्यक्ति की सजा तीन महीने औऱ बढ़ायी जा सकती है। यदि उस व्यक्ति की सजा एक साल तक बिना ट्रायल के बहाल रहती है, तो इसके लिए राज्य सरकार को उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक कमेटी बहाल करने की जवाबदेही है। जिला प्रशासन ने मुंगेरी यादव पर 17 आपराधिक मामले दर्ज होने की बातें कही थीं और यह भी कहा था कि साहेबगंज जिले में उनका रहना कानून व्यवस्था को लेकर खतरा उत्पन्न कर सकता है।