नई दिल्ली : विपक्षी महागठबंधन इंडिया समन्वय की तीन बार बैठक चुका है | जिसमें से भारत समन्वय एवं चुनाव रणनीति समिति की पहली बैठक पिछले 13 सितंबर को दिल्ली में हुई लेकिन वह एक बंद दरवाजे मैं संगठन की अंदरुनी प्रस्तुति बैठक था | उसे दिन जैसे एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार के बंगले पर समिति की पहली बैठक हुई | प्रारंभिक चर्चा में इस बात पर सहमति बनी है कि समन्वय-रणनीति समिति की बैठक दिल्ली में होगी लेकिन बारी-बारी से विभिन्न पार्टियों के नेताओं के घर पर ऐसे बैठक होगी |
सूत्र से मिली खबर के अनुसार, मुंबई बैठक में ममता बनर्जी द्वारा दिए गए प्रस्ताव के समर्थन में ‘इंडिया’ गठबंधन की पहली जनसभा भोपाल में होगी | इसी तरह, उसके बाद वामपंथियों और राजद-जदयू द्वारा प्रस्तावित दूसरी जनसभा पटना में होगी। फिर नागपुर, कोलकाता, लखनऊ, इसी तरह जनसभा देश भर में होती रहेगी | बंगाल में पूजा का माहौल बीत जाने के के बाद यानी दुर्गापूजा कालीपूजा यह सब हो जाने के बाद बंगाल के कोलकाता में ‘इंडिया गठबंधन’ की जनसभा होगी |
समन्वय-रणनीति समिति की बैठक के साथ-साथ ‘इंडिया’ गठबंधन को जल्दी जनता के अदालत में हाजिर होना जरूरी महसूस किया गया है | क्योंकि मतदाताओं के मन में यह विश्वसनीयता बढ़ाना जरूरी है कि संयुक्त विपक्ष के पास बीजेपी और नरेंद्र मोदी को केंद्र की कुर्सी से हटाने की ‘ताकत’ है | अक्टूबर की शुरुआत से संयुक्त सार्वजनिक बैठकों का सिलसिला शुरू हो जाएगा |
ईडी के समन के कारण अभिषेक बनर्जी 13 सितंबर की बैठक में शामिल नहीं हो सके | सूत्रों के मुताबिक इस कमेटी की बैठक जल्द ही बुलाई जाएगी | महागठबंधन ने भी चुनाव नजदीक आने पर विपक्षी दलों के बीच अधिक बैठकें कर समन्वय बढ़ाने का फैसला किया है। और उन सभी बैठकों का निचोड़ देश भर में सार्वजनिक बैठकों के माध्यम से प्रस्तुत किया जाएगा | सिर्फ मोदी को सत्ता से बाहर करने का वादा या विपक्षी गठबंधन की ताकत का प्रदर्शन ही नहीं, बल्कि विभिन्न राज्यों में सरकार की सफलता को भी नेता जनता के सामने रखेंगे |
चुनाव नजदीक है, ‘इंडिया’ के प्रति लोगों की दिलचस्पी बढ़ती जा रही है | इस माहौल को बनाए रखने के लिए समिति के सदस्य महीने में कम से कम दो सार्वजनिक बैठकें चाहते हैं | नहीं तो महागठबंधन के भीतर भी कार्यकर्ताओं के मन में नाराजगी रहेगी | साथ ही सीटों का बटवारा का प्रकरण भी जारी रहेगा | खबर है कि गठबंधन सहयोगियों के बीच कोई भी मसले को जल्द सुलझाने पर जोर दिया जाएगा |
विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक, सीताराम येचुरी की पार्टी गठबंधन माध्यम से सीटें पाने के लिए बेताब है | लेकिन न तो कांग्रेस और न ही तृणमूल कांग्रेस केरल और बंगाल में अपनी सीटें छोड़ने को तैयार हैं। ऐसे में ‘इंडिया’ गठबंधन में इस बात को लेकर अटकलें चल रही हैं कि सीपीएम को किस राज्य में सीटों का नुकसान होगा | सूत्रों के मुताबिक, सीटों के मामले में किसी भी पार्टी का पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में प्रदर्शन प्राथमिक आधार होगा | यह देखा जाएगा कि उस राज्य में किस पार्टी का प्रभाव ज्यादा है, क्या पार्टी के बाहर किसी नेता या नेत्री का प्रभाव है | फिर विभिन्न दलों के शीर्ष स्तर पर चर्चा के बाद सीटों का बंटवारा किया जाएगा |