नई दिल्ली : मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग का हब बन चुके भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट का काम शुरू हो गया है और यहां बनने वाले सेमीकंडक्टर यानि छोटे चिपसेट कई मामलों में देश के लिए फायदेमंद साबित होंगे। भारत में सेमीकंडक्टर बनने से स्मार्टफोन, कार समेत सभी इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स के दाम कम हो सकते हैं, वहीं सेमीकंडक्टर के लिए दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रहना होगा। दरअसल बिना सेमीकंडक्टर के किसी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की कल्पना नहीं की जा सकती। सरल शब्दों में कहें तो सेमीकंडक्टर चिप एक तरह से हर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का दिल है। इस विशेष क्षेत्र में चिप निर्माण को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने सेमीकॉन इंडिया 2023 समिट के जरिए देश और दुनिया के सामने अपना विजन रखा। भारत में सेमीकंडक्टर की खपत 2026 तक 80 बिलियन डॉलर और 2030 तक 110 बिलियन डॉलर को पार करने की उम्मीद है। इससे स्पष्ट होता है कि चिप निर्माण भारतीय अर्थव्यवस्था और व्यापार जगत के लिए क्या मायने रखता है, लेकिन, सवाल है कि इस दिशा में अब तक भारत में क्या तैयारी हुई है, कौन-सी कंपनियां सेमीकंडक्टर निर्माण में लगी हुई हैं, क्या-क्या चुनौतियां हैं, चूंकि सेमीकंडक्टर की आपूर्ति के लिए पूरी दुनिया चीन, ताइवान और साउथ कोरिया पर निर्भर है।
चीन की इसी दादागीरी को खत्म करने के लिए भारत ने मोबाइल मेड इन इंडिया मुहित के तहत मोबाइल की लोकल मैन्युफैक्चरिंग शुरू की। इसका नतीजा यह रहा है कि आज भारत मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग का बड़ा हब बन चुका है। मौजूदा वक्त में 3.5 लाख करोड़ रुपये के सालाना मोबाइल बना रहा है। साथ ही इस साल 2023 यह आंकड़ा 4 से 4.5 लाख करोड़ रुपये हो सकता है। इसके अलावा मोबाइल फोन की मैन्युफैक्चरिंग कर रहा है। हाल ही में मंत्री अश्विनी वैष्णव ने गूगल फॉर इंडिया इवेंट में बताया कि भारत के पहले सेमीकंडक्टर प्लांट का निर्माण शुरू हो गया है, जो अगले कुछ सालों में चिपसेट का निर्माण शुरू कर देगा। भारत में सेमीकंडक्टर बनने से स्मार्टफोन, कार समेत सभी इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट के दाम कम हो सकते हैं। वही सेमीकंडक्टर के लिए दूसरे देशों पर नहीं निर्भर रहना होगा, क्योंकि एक्सपर्ट सलाह दे रहे थे कि अगर भारत का चीन के साथ युद्ध होता है या फिर टेंशन बढ़ती है, तो चीन सेमीकंडक्टर या अन्य इलेक्ट्रॉनिक पार्ट की सप्लाई रोककर भारत की इलेक्ट्रॉनिक इंडस्ट्री को तबाह कर सकता है।