आदमी को लगा दिए महिला के दोनों हाथ, हर कोई कर रहा तारीफ

सर गंगाराम अस्पताल के डॉक्टरों ने किया चमत्कार ! आदमी को लगा दिए महिला के दोनों हाथ, हर कोई कर रहा तारीफ

नई दिल्ली: दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में डॉक्टरों के करिश्मे से एक शख्स को नई जिंदगी मिल गई है। ट्रेन हादसे में दोनों हाथ गंवाने वाले व्यक्ति को फिर से दोनों हाथ मिल गए हैं। हाथ ट्रांसप्लांट हो जाने पर लगभग छह सप्ताह अस्पताल में बिताने के बाद शख्स को अस्पताल से छुट्टी मिल जाएगी।
दिल्ली के नांगलोई के रहने वाले 45 वर्षीय राजकुमार पेशे से पेंटर हैं। वह अपनी साइकिल पर अपने घर के पास रेलवे ट्रैक पार कर रहे थे, इसी बीच वह ट्रैक पर गिर गए और ट्रेन के नीचे आ गए। इस हादसे में उनके दोनों हाथ चले गए थे। इसके बाद राज कुमार अपनी रोजमर्रा की गतिविधियों के लिए दूसरों पर निर्भर हो गए। परिवार की हालात दिन-ब-दिन खराब होती चली गई।चिकित्सा सुविधा में प्लास्टिक और कॉस्मेटिक सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. महेश मंगल ने कहा कि उनके पास एकमात्र विकल्प या तो प्रोस्थेटिक्स का उपयोग या हाथ ट्रांसप्लांट था। इस पर पेंटर राजकुमार ने प्रोस्थेटिक्स का उपयोग करना शुरू कर दिया, लेकिन उनका प्रोस्थेटिक ट्रायल असफल रहा। इसके बाद उनके पास ट्रांसप्लांट ही एक मात्र विकल्प बचा।हालांकि, उस समय उत्तर भारत के किसी भी अस्पताल में हाथ ट्रांसप्लांट करने की अनुमति नहीं थी। एक सीनियर डॉक्टर ने कहा कि हम लोग हाथ ट्रांसप्लांट के लिए कैंडिडेट की तलाश कर ही रहे थे कि जनवरी के तीसरे हफ्ते में राजकुमार के लिए एक उम्मीद की किरण जगी, जब दिल्ली के एक स्कूल की रिटायर्ड महिला वाइस-प्रिंसिपल के परिवार के सदस्यों ने उनकी मृत्यु के बाद उनके अंग दान करने की इच्छा व्यक्त की।इसके बाद डॉक्टरों ने कमाल करते हुए सर्जरी करके 19 जनवरी को रिटायर्ड वाइस-प्रिंसिपल के हाथों को राजकुमार के हाथों में ट्रांसप्लांट किया गया। डॉक्टरों के इस करिश्मे से पेंटर राजकुमार को फिर से एक नई जिंदगी मिल गई है।डॉक्टरों ने कमाल करते हुए फिर से दोनों हाथ दे दिए। छह सप्ताह अस्पताल में बिताने के बाद शख्स को को अस्पताल से छुट्टी मिल जाएगी।डॉक्टरों ने बताया कि राजकुमार को पुनः ब्रश पकड़ कर काम करने में दो वर्ष का समय लग सकता है। डॉक्टरों के इस कमाल की हर कोई तारीफ कर रहा है।सबसे बड़ी बात यह रही कि राजकुमार आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी।वे इलाज का खर्च उठा नहीं सकते थे।इस लिए सर गंगाराम अस्पताल प्रबंधन ने अपने खर्चे पर उनका हाथ ट्रांसप्लांट किया।यह भारत में चौथी ट्रांसप्लांट है।

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