यूपी: 19 अप्रैल को होने जा रहे लोकसभा चुनाव के पहले चरण के प्रचार के आखिरी दिन, राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने गाजियाबाद में एक साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस की है। मीडिया के साथ दोनों नेताओं की बातचीत में जो कुछ भी नजर आया – असल में वही कांग्रेस और समाजवादी पार्टी गठबंधन की मजबूती और कमजोरी का असली सच है।
आखिरकार राहुल गांधी और अखिलेश यादव एक साथ लोगों के सामने आये, लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस में, वो भी चुनाव प्रचार के आखिरी दिन। वो भी न लखनऊ न दिल्ली, बल्कि गाजियाबाद में – क्या दोनों नेताओं को रामनवमी का इंतजार था?
ये ठीक है कि उत्तर प्रदेश में राम मंदिर को लेकर बीजेपी के पक्ष में माहौल बना है। राम नवमी के मौके पर सिर्फ यूपी ही नहीं बल्कि देश भर में लोगों को रामलला पर सूर्य तिलक का बेसब्री से इंतजार रहा – और राहुल गांधी ने अखिलेश यादव के साथ अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस उससे पहले ही खत्म कर दी।
राहुल गांधी और अखिलेश यादव दोनों ही नेताओं ने लोगों को राम नवमी की शुभकामनाएं दी है, लेकिन कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के जो समर्थक साथ छोड़ कर बीजेपी के पक्ष में जा चुके हैं, उनको ऐसा करके वे वापस अपनी तरफ खींच पाने में सफल हो पाएंगे, ये एक बड़ा सवाल है।
वहीं राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी को घेरने के लिए
‘इलेक्टोरल बॉन्ड दुनिया की सबसे बड़ी उगाही की स्कीम’, बताया।इस दौरान कुछ पत्रकारों के पूछे गए प्रश्न को बीजेपी का प्रश्न बता कर टाल गए। उन्होंने कहा कि उनको पता चल जाता है कि बीजेपी के कौन से प्रश्न है।इस दौरान अखिलेश-राहुल की साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में मोदी सरकार पर निशाना साधा।
राहुल गांधी और अखिलेश की गाजियाबाद में प्रेस कॉन्फ्रेंस, मीडिया के सवालों के दिए जवाब
राम मंदिर के उद्धाटन समारोह का राहुल गांधी और अखिलेश यादव दोनों ने बीजेपी का इवेंट बताकर बहिष्कार किया था, लेकिन सनातन के मुद्दे पर बीजेपी हमलों के काउंटर में दोनों नेता राम नवमी के मौके पर एक साथ सामने आये हैं। महत्वपूर्ण ये है कि लोगों पर ये साथ कितना असर छोड़ पाता है। राहुल गांधी और अखिलेश यादव की इस संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस ने न केवल उनके गठबंधन की मजबूती को दिखाया, बल्कि ये भी साबित करता है कि उनके साथ मिलकर वे राजनीतिक रूप से एक महत्वपूर्ण संदेश भी दे सकते हैं।