अप्रैल से जीवन रक्षक दवा हुए सस्ते, कांग्रेस पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री का पलटवार

नई दिल्ली : दवाओं के बढ़ते दाम की वजह से परेशान जनता के लिए सरकार ने एक राहत की खबर सुनाई है। कुल 651 जरूरी दवाओं के दाम अप्रैल से करीब 6.73% घटे है। सरकार ने इन दवाईयों को पहले से ही नेशनल इंसेशियल मेडिसन स्टॉक्स में शामिल किया है जिसकी वजह इनके दाम में गिरावट आई है। जरूरी दवाईयों में दिल की बीमारी, बुखार, शुगर, ब्लड प्रेशर की दवाएं शामिल किये जाने से वे सस्ती हो गई हैं। यह जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने दी है। वही केंद्र में द्विपक्षीय कांग्रेस ने दवा के मूल्यों पर केंद्रीय सरकार को घेरने का प्रयास किया है। जिस पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने पलटवार कर जवाब दिया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मंडालविया ने कहा कि अब तक 870 आवश्यकत दवाओं में से 651 की अधिकतम कीमतों को अधिसूचित कर दिया है, जिससे राष्ट्रीय आवश्यक दवाओं की सूची (एनएलईएम) के तहत आने वाली दवाओं की कीमत कम हुई है।
वहीं राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) ने कहा है कि 651 आवश्यक दवाओं की कीमत को 1 अप्रैल से औसतन 6.73 प्रतिशत कम कर दिया गया है।स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले साल सितंबर में आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची (NLEM) में संशोधन किया था। इसमें कुल 870 दवाओं को शामिल किया गया है, जिसमें से 651 आवश्यक दवाओं की कीमत में कैपिंग सीलिंग प्राइस को तय कर दिया गया है।इस बाबत राष्ट्रीय दवा मूल्य नियामक ने अपने एक ट्वीट में कहा कि सरकार आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची के तहत सूचीबद्ध कुल 870 दवाओं में से अब तक 651 दवाओं की अधिकतम कीमत तय करने में सफल रही है। इससे हर व्यक्ति तक जरूरी दवाओं की पहुंच को बढ़ाया जा सकेगा।
दूसरी ओर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मंडालविया ने सोमवार को कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे पर निशाना साधा। मंडाविया ने दावा किया कि सरकार द्वारा ज्यादातर जरूरी दवाओं की कीमतों की सीमा तय करने से उपभोक्ताओं की सालाना करीब 3,500 करोड़ रुपये की बजत होगी। दरअसल, एक दिन पहले कुछ आवश्यक दवाओं की कीमतों में वृद्धि को लेकर खरगे ने प्रधानमंत्री पर कटाक्ष किया था और कहा था कि आपने लोगों की जेब काटने के लिए ‘सुपारी’ ली है। कांग्रेस नेता को दावों को खारिज करते हुए मंडाविया ने सिलसिलेवार कई ट्वीट किए। एक ट्वीट में उन्होंने कहा, सरकार ने अब तक 870 आवश्यकत दवाओं में से 651 की अधिकतम कीमतों को अधिसूचित कर दिया है, जिससे राष्ट्रीय आवश्यक दवाओं की सूची (एनएलईएम) के तहत आने वाली दवाओं की कीमत कम हुई है। उन्होंने कहा कि औषधि मूल्य नियंत्रण आदेश, 2013 के प्रावधानों के अनुसार हर साल फार्मा कंपनियां डब्ल्यूपीआई के हिसाब से दवाओं की कीमतों में वृद्धि या कमी करती हैं। लेकिन नवंबर 2022 में सरकार ने आवश्यक दवाओं की सूची और कीमतों को संशोधित किया। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, कंपनियां एक अप्रैल 2023 से दवाओं के दाम बढ़ा सकती हैं।मंडाविया ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चलाए जा रहे जन औषधि अभियान से आपूर्ति पक्ष में हस्तक्षेप हुआ है, जिससे बाजार में प्रतिस्पर्धा पैदा हुई है जिसने कंपनियों को कीमतें बढ़ाने से रोका है।

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