करोड़ों के मिड डे मील की राशि का घोटाला करनेवाले आरोपी संजय तिवारी को रांची हाई कोर्ट ने राहत नहीं दी। उनकी डिस्चार्ज याचिका खारिज को कर दी है। कोर्ट ने सोमवार को अपना फैसला सुनाते हुए संजय तिवारी की याचिका खारिज कर दी। सरेंडर करने के बाद संजय तिवारी फिलहाल न्यायिक हिरासत में है। बताया गया कि इस मामले में पीएमएलए (प्रीवेन्शन ऑफ मनी लाउंड्रिंग एक्ट) कोर्ट में 20 अप्रैल को सुनवाई हुई थी। दोनों पक्षों की ओर से बहस पूरी होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
तिवारी पर है गंभीर आरोप
तिवारी पर आरोप है कि उसने 16 अगस्त, 2017 को अपने कर्मी राजू कुमार वर्मा के खाते में आठ करोड़ 27 लाख 28 हजार 309 रुपये हस्तांतरित किया था। इसके बाद राजू कुमार वर्मा ने उक्त राशि को विभिन्न खातों में हस्तांतरित किया था।
भानू कंस्ट्रक्शन के 34 खातों में अवैध तरीके से स्थानांतरित किये गये थे 100 करोड़
मिड डे मील के करीब 100 करोड़ एसबीआई धुर्वा ब्रांच से भानू कंस्ट्रक्शन के 34 खातों में अवैध तरीके से स्थानांतरित कर दिये थे। इसको लेकर पहले धुर्वा थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी। बाद में मामले की जांच सीबीआई ने अपने हाथ ले ली. वर्ष 2021 में ED ने कांड संख्या ECIR 3/2021 दर्ज कर केस टेकअप किया है. संजय तिवारी के साथ राजू वर्मा और सुरेश कुमार भी इस केस में अभियुक्त हैं।
ईडी ने बरामद की थी फर्जी नंबरप्लेट वाली पांच कीमती एसयूवी
ईडी को उसके ठिकाने से पांच कीमती एसयूवी गाड़ियां बरामद हुई थी। सभी गाड़ियों के नंबर फर्जी मिले थे। उसने एनएचएआई का भी फर्जी पहचान पत्र बनवा रखा था ताकि कहीं रास्ते मे टोल न देना पड़े। संजय तिवारी पर रांची के अरगोड़ा थाना में भी जालसाजी से संबंधित दो एफआईआर दर्ज हैं।
ईडी ने कराई जांच तो हुआ खुलासा
ईडी को उसपर शक हुआ और रिम्स से जारी उक्त कोविड रिपोर्ट की जांच कराई गई तो वह फर्जी पाई गई। इसके बाद रिम्स के माइक्रोबायलोजी विभाग के एक कर्मी और संजय कुमार तिवारी के एक कर्मी को फर्जीवाड़ा में गिरफ्तार किया गया, जिनके विरुद्ध बरियातू थाने में जालसाजी की प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।
गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद कोर्ट में किया समर्पण
छानबीन में यह भी पता चला कि रिम्स के स्वास्थ्यकर्मियों से साठगांठ और रुपयों के बल पर संजय कुमार तिवारी ने फर्जी कोविड रिपोर्ट ले ली थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट में जमा किया था। फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद ईडी ने संजय कुमार तिवारी का गैर जमानती वारंट लिया और उसके ठिकाने पर एक अप्रैल को छापेमारी की, लेकिन वह फरार मिला। ईडी अभी उसकी तलाश ही कर रही थी कि गत दो अप्रैल को उसने ईडी कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया था।
ईडी की छानबीन में हो चुका है खुलासा
ईडी की छानबीन में यह खुलासा हो चुका है कि मिड डे मील योजना के खाते से तिवारी ने 100.01 करोड़ रुपये का बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से हस्तांतरण किया था।
फर्जी कोविड रिपोर्ट जमा कराकर कोर्ट को कर चुका है गुमराह
मनी लांड्रिंग के तहत जांच के दौरान ईडी ने संजय कुमार तिवारी को 22 नवंबर 2021 को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। करीब 15 महीने बाद सर्वोच्च न्यायालय से उसे 30 दिनों की अंतरिम जमानत मिली थी।