अहा ! दिवाली फिर से आई,
घर – घर हुई सफाई पुताई..!!
रंगोली देहरी की शान,
पहने नए – नए परिधान…!!
खूब बनाए हैं पकवान,
मिलने आएंगे मेहमान…!!
सजे- धजे हैं घर बाजार,
शीत ऋतु की चली बयार…!!
धूम – धाम का शोर अपार,
चकरी, बम और चले अनार…!!
लक्ष्मी – गणपति पूजे जाते,
खील – बताशे भोग लगाते…!!
वन से राम इसी दिन आए,
लोगों ने थे दीप जलाए…!!
आओ हम भी दीप जलाएं,
मिल जुल कर सब खुशी मनाएं..!!
बाल कविता- दिवाली : चेतना कपूर