– मित्रमंच फाउण्डेशन, सोनभद्र द्वारा 20वाँ मुशायरा एवं कवि सम्मेलन हुआ आयोजित
– ख़ुमार देहल्वी को पहले ग़ालिब सम्मान से किया गया सम्मानित
मित्रमंच फाउण्डेशन, सोनभद्र द्वारा 27 दिसंबर, 2022 को मशहूर शायर मिर्ज़ा ग़ालिब की जयंती के मौके पर 20वें मुशायरा एवं कवि सम्मेलन का आयोजन होटल अरिहंत कैंपस में किया गया। मुशायरा एवं कवि सम्मेलन में देश के नामचीन शायरों, कवियों एवं कवयित्रियों ने काव्य पाठ किया। मुशायरा शाम 7:00 बजे से रात्रि 1:00 बजे तक चला। मुख्य अतिथि जिला जज एम.ए.सी.टी. संजय हरि शुक्ल ने ग़ालिब की तस्वीर पर माल्यार्पण कर शम्मा रोशन की रस्म अदा की। पूर्व चेयरमैन एवं मित्रमंच फाउण्डेशन के संरक्षक विजय जैन व संरक्षकगण सरदार दया सिंह, उमेश जालान, राधेश्याम बंका, अध्यक्ष विकास वर्मा ‘बाबा’, सचिव अशोक श्रीवास्तव एवं कार्यकारिणी के सदस्यों ने शायरों एवं कवियों-कवयित्रियों का माल्यार्पण कर बैैज लगाकर उन्हें स्मृति चिह्न भेंट किये। इस बार मित्रमंच फाउण्डेशन की ओर से ग़ालिब सम्मान की शुरुआत की गयी। पहले ग़ालिब सम्मान से ख़ुमार देहल्वी को सम्मानित किया गया। मित्रमंच फाउण्डेशन के अध्यक्ष विकास वर्मा ‘बाबा’ ने शॉल ओढ़ाकर प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिह्न एवं 10,001 रुपये की थैली भेंंटकर उन्हें सम्मानित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कथाकार रामनाथ शिवेंद्र ने की एवं मंच संचालन हसन सोनभद्री ने किया। हसन सोनभद्री को मित्रमंच फाउण्डेशन के इस मुशायरा एवं कवि सम्मेलन का लगातार तीसरी बार सफल संचालन करने पर मित्रमंच फाउण्डेशन के संरक्षक विजय जैन और अध्यक्ष विकास वर्मा ‘बाबा’ ने प्रशस्ति पत्र प्रदान किया। मुशायरा एवं कवि सम्मेलन की शुरुआत अनुपमा वाणी ने सरस्वती वंदना से की। इसके उपरांत क़ाशिफ़ अदीब ने नात पढ़ी।
स्रोताओं ने सभी शायरों, कवि-कवियत्री को मंत्रमुग्ध होकर सुना और भरपूूर दाद दी।
शायरों-कवियों के कुछ शे’र व छंद इस प्रकार हैं-
ख़ुमार देहल्वी ने कहा-
” आख़िर दिलों से दूर अदावत हमीं ने की।
इंसानियत की आम रवायत हमीं ने की।।”
विकास वर्मा ‘बाबा’ ने कहा-
“क्यूँ आपसे तुलना करूँ संतुष्ट हूँ पूरी तरह
भगवान से जो भी मिली सौगात मेरी ठीक है।
आप जो भी अर्थ मेरी बात का समझे मगर,
बात जो मैं कह रहा हूँ बात मेरी ठीक है।”
हसन सोनभद्री ने कहा-
“आइये ग़म ही बाँट देते हैं,
इश्क़ में और कुछ बचा ही नहीं।”
पंडित प्रेम बरेलवी ने कहा-
“यूँ भी अक्सर मुँह की खानी पड़ती है।
सच कहने पर जान गँवानी पड़ती है।।
कौन यहाँ किसको ढोता है? यूँ समझो,
ख़ुद ही अपनी लाश उठानी पड़ती है।।”
मनमोहन मिश्र ने कहा-
“अम्न कतरा रहा है आने से।
फ़ायदा क्या नगर बसाने से।।
रोक सकती नहीं हवा मुझको,
प्यार का इक दीया जलाने से”
डॉ. शाद मशरिक़ी ने कहा-
“दौरे-ग़म में आयेगी चन्द ऐसी रातें भी।
याद जागती होगी दर्द सो गया होगा।।”
अब्दुल हई ने कहा-
“रो के बुलबुल ने कहा क़ैद से रिहा न करो,
गुलसिताँ पर अभी सैय्याद के पहरे होंगे।
क़ाशिफ़ अदीब ने कहा-
“बहुत से लोग हैं तेरे सबब ही हमसे ख़फ़ा,
बहुत से लोग समझते हैं तू हमारा है।”
जगदीश पंथी ने कहा-
“प्यार तुम्हारा मिला कि सावन बरस गया।
जीवन में हरियाली आयी पत्ता लरज़ गया।।
प्रद्युम्न त्रिपाठी ने कहा-
“मत करो हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई।
हम फ़क़त इंसानियत की बात करते हैं।”
अनुपमा वाणी ने कहा-
“प्रेम भी करने लगे हैं लोग रेटिंग देखकर।
ज़िन्दगी का फ़ैसला दो-चार डेटिंग देखकर।।”
कमल नयन त्रिपाठी ने कहा-
“मुझको क़ातिल कहा गया इसी सुबूत पर।,
आधा लहू बदन में था बाक़ी ख़ुतूत पर।।”
अंश प्रताप ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा-
“एक हम हैं जो अभी ख़ुद को मयस्सर न हुए,
एक तुम हो जिसे लगता है कि पा लोगे मुझे।”
कौशल्या कुमारी चौहान ने कहा-
“देश ही मेरा सब कुछ है, मैं देश की दीवानी हूँ।
मुझको अबला मत समझो, मैं झांसी वाली रानी हूँ।।”
पूर्व चेयरमैन और मित्रमंच फाउण्डेशन के संरक्षक विजय जैन ने सभी शायरों, कवि-कवयित्रियों और श्रोताओं का विशेष धन्यवाद करते हुए कहा कि ग़ालिब जयंती पर मित्रमंच फाउण्डेशन द्वारा आयोजित इस मुशायरे एवं कवि सम्मेलन में भाग लेने वाले शायर, कविगण एवंं श्रोता सब मित्र हैं।
कार्यक्रम के अध्यक्ष रामनाथ शिवेंद्र ने मुशायरा, कवि सम्मेलन को ऐतिहासिक बताते हुए शायरों, कवि-कवयित्रियों की तारीफ़ की और इस मुशायरे, कवि सम्मेलन को राष्ट्रीय स्तर का कहते हुए मित्रमंच फाउण्डेशन के सभी पदाधिकारियों और सदस्यों से इसे और ऊँचाइयों पर ले जाने को कहा। अंत में मित्रमंच फाउण्डेशन के अध्यक्ष विकास वर्मा ‘बाबा’ ने सभी का धन्यवाद करते हुए अगले साल तक के लिए मुशायरा एवं कवि सम्मेलन को मुल्तवी किया।
कार्यक्रम में विजय जैन, राधेश्याम बंका, विकास वर्मा ‘बाबा’, उमेश जालान, सरदार दया सिंह, जे.वी. सिंह, आलोक श्रीवास्तव, धर्मराज जैन, इकराम ख़ाँ, फ़रीद अहमद, अशोक श्रीवास्तव, विमल जैन, संदीप चौरसिया, अमित वर्मा, मुरली अग्रवाल, विनोद कुमार चौबे, रामप्रसाद यादव, आलोक वर्मा, ज्ञानेंद्र राय, विकास मित्तल, गणेश प्रसाद, धीरेंद्र अग्रहरि, संतोष वर्मा, राजेश सोनी, डॉ. गोविंद यादव, इसरार अहमद, साबिर अली, नसीम, फ़िरोज ख़ान, एम.डी. असलम आदि सहयोगी, समाजसेवी एवं कार्यकर्ता उपस्थित रहे।